भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है तो उसे सूर्यग्रहण (solar eclipse) कहते हैं। हम सभी ने इसे लेकर बचपन से कई तरह की कहानियां और भ्रांतियां सुनी है। पहले के समय में इसे राहू और केतु से जोड़कर देखा जाता था। मान्यता थी कि राहू और केतु ने सूर्य को ग्रसित कर लिया जिस कारण सूर्य ग्रहण लगता है। बड़े बुजुर्गों से हमने सुना है कि ग्रहण के दौरान कुछ भोजन पकाा और खाना नहीं चाहिए। भोजन और पानी में तुलसी के पत्ते डालना चाहिए। माना जाता था कि इस समय बुरी ताकतें हावी रहती हैं इसलिए इस दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करना चाहिए।
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हालांकि आज हमारे पास इसके ठोस वैज्ञानिक कारण और प्रमाण है। वैज्ञानिक इस समय सूर्य को नंगी आंखों से नहीं देखने की सलाह देते हैं। भौतिक विज्ञान के अनुसार जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाने से चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए छिप जाता है। इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। एक तथ्य ये भी है कि सूर्यग्रहण अधिकतम 10 हजार किलोमीटर लम्बे और 250 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में ही देखा जा सकता है |
आज हम आपको सूर्य ग्रहण का एक अद्भुत दृश्य दिखाने जा रहे हैं। ये 45,000 फीट ऊंचाई से रिकॉर्ड किया गया है। इसमें आकाश अंधकारमय है और अचानक कुछ क्षणों के लिए लगता है जैसे आतिशबाजी हो रही है। इसके बाद वो आतिशबाजी बुझ जाती है और छोटा सा गोला भर नजर आता है। इस दौरान रोशनी की लुकाछिपी से आकाश में रंगों का अंदभुत संयोजन नजर आता है। ये वीडियो एक हवाई जहाज की खिड़की से रिकॉर्ड किया गया है।
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