सहारनपुर से फिर हुआ हिमालय का दीदार, इमेज हो रही वायरल

Gaurav Sharma
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सहारनपुर, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना महामारी (Coronavirus) के चलते आज सभी देश लॉकडाउन  लगाने के लिए मजबूर हैं भारत भी इस लॉकडाउन या कहें कोरोना कर्फ्यू से अचूका नहीं है ,जिसके चलते न तो लोग घर से निकल पा रहे हैं नाही गाडियां चला पा रहे हैं नाही फैक्टरियों के काम चालू हो पा रहे हैं । एक ओर जहाँ कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) लोगों के लिए समस्या का विषय बना हुआ है वहीँ दूसरी ओर प्रकृति के लिए यह फिर एक बार वरदान साबित हो रहा है।

हाल में ट्विटर पर सहारनपुर निवासी रमेश पांडे ने एक फोटो साझा कर लिखा है कि “Himalayas are visible again from Saharanpur. After rains, the sky is clear and AQI is around 85” अर्थात “हिमालय को एक बार फिर सहारनपुर से देखा जा सकता है ओर बारिश के बाद आसमान साफ़ है और वायु गुणवत्ता सूचकांक 85 है” । उन्होने इस इमेज का क्रेडिट डॉक्टर विवेक बनर्जी को दिया है।

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सहारनपुर निवासियों कि मानें तो पिछली साल अप्रैल में यह नज़ारा लगभग 30 साल बाद देखने को मिला था ,कोरोना कर्फ्यू कि वजह से हवा के प्रदूषण में आई कमी की वजह से लोगों को यह दीदार करने का मौका मिला।इतना ही नहीं कोरोना कर्फ्यू की वजह से न केवल वायु प्रदूषण बल्कि नदियों के प्रदूषण में भी कमी आई है ऐसा कहा जा रहा है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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