Video : देखा है कभी चॉकलेट का जिराफ !

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। चॉकलेट (chocolate) को पसंद करने वालों की लिस्ट में सिर्फ बच्चे ही नहीं…हर उम्र और जगह के लोग शामिल हैं । एक समय लग्ज़री, शौक या स्टेटस सिंबल में शुमार की जाने वाली चॉकलेट अब हमारी ज़िंदगी का हिस्सा हो गई है। इसकी मिठास को मनाने के लिए हर साल 7 जुलाई को वर्ल्ड चॉकलेट डे सेलिब्रेट होता है। वैलेंटाइन सप्ताह के तीसरे दिन यानी 9 फरवरी को भी चॉकलेट डे मनाया जाता है। आज बाजार में चॉकलेट की हजारों वैरायटी मौजूद है। हर किसी की पसंद और जरूरत के हिसाब से तरह तरह की चॉकलेट्स।

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चॉकलेट का इतिहास लगभग ढाई हजार साल पुराना है। एज़्टेक जो कि एक मेसोअमेरिकन संस्कृति थी, उनके द्वारा चॉकलेट की खोज की गई। हालांकि 16वीं शताब्दी तक इसका स्वाद कड़वा ही था। इसमें मिठास घुलने की भी एक कहानी है। कहा जाता है कि साल 1519 में स्पेनिश खोजकर्ता हर्नान कोर्टेस के पास चॉकलेट पहुंची, उन्हें ये पीने के लिए दी गई। शुरू में उन्हें भी इसका स्वाद कड़वा लगा लेकिन फिर वो इसे अपने साथ स्पेन लेकर गए। वहां स्वाद को बैलेंस करने के लिए उन्होने चॉकलेट में शक्कर, वेनिला और दालचीनी मिला दी। इस तरह इसका मीठा स्वाद दुनिया को पता चला। धीरे धीरे ये लोकप्रिय हुई और यूरोप में 7 जुलाई 1550 को पहली बार चॉकलेट डे मनाया गया। बस उसके बाद से हर साल इसे मनाने का रिवाज़ पड़ गया जो ब भी कायम है। हालांकि कई बड़ी और मशहूर चॉकलेट कंपनियों की शुरुआत 19वीं और 20वीं शताब्दी हुई है जिनमें कैडबरी, हर्षे, नेस्ले शामिल हैं।

आज हम आपको चॉकलेट से बनाई कलाकारी की अनोखा नमूना दिखाने जा रहे हैं। एक शख्स ने चॉकलेट से एक पूरा जिराफ (Chocolate Giraffe) बना दिया। वो भी कोई छोटा मोटा नहीं, एकदम बड़े साइज का। पहले लिक्विड चॉकलेट को अलग अलग शेप में मोल्ड किया और फिर उन हिस्सों को आकार देकर जिराफ का ढांचा खड़ा कर दिया। इसपर पेंट किया और चॉकलेट का जिराफ तैयार। हालांकि ये बहुत ही मेहनत और समय लेने वाला काम था, लेकिन जब जिराफ बनकर तैयार हुआ तो बनाने वाले की मुस्कान देखने लायक थी।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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