Video : नहीं देखी होगी ऐसी फूड डिलीवरी, काम को लेकर जुनून और समर्पण

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता। अगर उसे मेहनत और परफेक्शन से किया जाए तो एक दिन नतीजा जरुर मिलता है। हमने अपने आसपास ऐसे कितने उदाहरण देखे सुने हैं कि लोग अपनी मेहनत और जज़्बे के दम पर छोटे से काम से बड़े ओहदे तक पहुंच गए। इसीलिए हमेशा बड़े बूढ़े हमें सीख देते आए हैं कि अपने काम के लिए समर्पित रहना चाहिए और उसे पूरी जी-जान से करना चाहिए।

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इन दिनों फूड डिलीवरी का बिजनेस काफी चल रहा है। इसे लेकर कई स्कीम भी है..30 मिनिट्स में खाना डिलीवर नहीं हुआ तो फ्री। अगर पैकेजिंग खराब हो या खाने में कोई दिक्कत हो तो रिफंड और तमाम तरह की बातें। लेकिन ये बात सिर्फ घर पर खाना डिलीवर करने तक ही नहीं है। अगर हम किसी रेस्तरां में जाते हैं और वहां खाना ऑर्डर करते हैं, तब भी हमारी उम्मीद होती है कि वो हमें सही समय पर और एकदम फ्रेश व गर्मागर्म मिले। और हम तक हमारी मनपसंद डिश पहुंचाने के लिए किचन स्टाफ से लेकर वेटर तक जितनी मेहनत होती है, उसपर हम शायद कभी गौर ही नहीं करते।

आज हम आपको एक वीडियो दिखाने जा रहे हैं जिसमें एक युवक किचन से लेकर बाहर तक खाना डिलीवर करता दिख रहा है। ये सुनकर आपको भले लगे कि इसमें क्या खास बात है..लेकिन जब आप वीडियो देखेंगे तो समझ आएगा कि ये अपने काम में कितना कुशल है। इसने अपने एक हाथ में बड़ी सी ट्रे में काफी सारी प्लेट्स रखी है जिसमें खाना लगा हुआ है। इसे लेकर वो बाहर जा रहा है। ये कोई आसान काम नहीं, एक हाथ से इतना सारी खाने की प्लेट्स संभालना और दूसरे हाथ में एक स्टेंड पकड़ना। खाना किसी भी तरह से गिरना नहीं चाहिए न ही एक दूसरे में मिक्स होना चाहिए। वो बड़ी ही फुर्ती से बाहर जाता है और स्टेंड रखकर उसपर ये ट्रे रख देता है। इसकी तारीफ करनी चाहिए..सिर्फ कार्यकुशलता के लिए नहीं, बल्कि इस बात के लिए भी कि ये अपने काम से प्यार करता है और उसे ठीक से अंजाम देने के लिए सारी मेहनत कर रहा है।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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