MP Breaking News
Fri, Dec 19, 2025

जानिए कौन है बालमणि अम्मा, जिनके नाम पर गूगल ने बनाया आज खास डूडल

Written by:Manuj Bhardwaj
Published:
Last Updated:
जानिए कौन है बालमणि अम्मा, जिनके नाम पर गूगल ने बनाया आज खास डूडल

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। इतिहासकारों, साहित्यकारों, कलाकारों या आसान शब्दों में कहे तो जिस भी व्यक्ति ने इस दुनिया में मानवता पर अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से क्यों ना हो, उसे गूगल एक खास अंदाज में श्रंद्धाजलि देता है, जिसे हम आजकल गूगल डूडल (Google Doodle) के नाम से जानते है।

गूगल ने आज भी ऐसे ही एक महान भारतीय शख्सियत का गूगल डूडल बनाया है, जिन्हें मलयालम साहित्य की दादी भी कहा जाता है और उनका नाम है बालमणि अम्मा। गूगल ने मलयालम साहित्यकार बालमणि अम्मा (Balamani Amma) के 113वें जन्मदिन पर खास डूडल पेश किया है, जिसे केरल के आर्टिस्ट देविका रामचंद्रन ने तैयार किया है।

ये भी पढ़े … लापरवाही पर बड़ा एक्शन, 2 निलंबित, 20 को नोटिस जारी

आइये जानते है बालमणि अम्मा के बारे में –

बालमणि अम्मा का जन्म आज ही के दिन 19 जुलाई 1909 को केरल के त्रिशूर जिले में हुआ था। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि मलयालम साहित्य को पूरे विश्व में पहचान दिलाने वाली बालमणि की कभी स्कूली शिक्षा नहीं हुई थी। इसके बावजूद भी उन्हें पहली कविता कोप्पुकाई से पहचान मिल गई थी। इसका प्रकाशन 1930 में हुआ था। इस कविता के बाद उन्हें कोचीन साम्राज्य के पूर्व शासक परीक्षित थंपुरन ने उन्हें ‘साहित्य निपुण पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया था। बालमणि अम्मा कमला दास की मां भी हैं, जिन्हें 1984 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।

बालमणि अम्मा को भी भारत के दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।

इसलिए मिली ‘अम्मा’ की उपाधि …

बालमणि अम्मा के नाम पर कविता, गद्य और अनुवाद के 20 से अधिक संकलन प्रकाशित हैं, जहां उन्होंने बहुत से कविताओं में बच्चों और पोते-पोतियों के प्रति अपने प्रेम का वर्णन किया है। यहीं कारण है जो उन्हें मलयालम कविता की अम्मा (मां) और मुथस्सी (दादी) की उपाधि दी गई।

ये भी पढ़े … पाकिस्तानी गेंदबाज की इस गेंद ने क्यों दिलाई शेन वार्न की याद?, देखे वीडियो

अपनी कविताओं में महिला की शक्तिशाली शख्सियत को किया पेश

अम्मा ने अपनी कविताओं मां के संघर्ष और महिलाओं को शक्तिशाली शख्सियत को बखूबी पेश किया है। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में अम्मा (1934), मुथस्सी (1962) और मजुविंते कथा (1966) शामिल हैं।

बता दे, 29 सितंबर, 2004 को पांच साल तक अल्जाइमर रोग से जूझने के बाद बालामणि अम्मा का निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।