अंतरिम बजट, मोदी सरकार का चुनावी बिगुल : त्रिपाठी

-Interim-Budget

भोपाल| मोदी सरकार ने आम चुनाव से पहले अपने आखरी बजट में किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग को लुभाने के लिये कई बड़ी घोषणायें की हैं| इस बार अरुण जेटली के बीमार होने के कारण पीयूष गोयल ने कार्यवाहक वित्त मंत्री के रूप में संसद में बजट पेश किया। इसे चुनावी बजट के तौर पर देखा जा रहा है| वहीं कांग्रेस ने इसे छलावा और जुमला बताया है|  देश भर में बजट को लेकर चर्चा शुरू हो गई| सभी अपने हिसाब से बजट का विश्लेषण कर रहे हैं| सेवानिवृत आईएएस एन के त्रिपाठी का कहना है कि वित्त मंत्री पीयूष गोयल के द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया है वह निश्चित रूप से मोदी सरकार का चुनावी बिगुल है। यह एक अंतरिम बजट है जो पूरी तरह से चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है तथा एक वार्षिक बजट के रूप में प्रस्तुत किया गया है। 27 लाख करोड़ के व्यय के  भारी भरकम बजट को वित्त मंत्री ने अपनी सरकार के पाँच साल के रिपोर्ट कार्ड और 2030 तक के भविष्य के दृष्टि-पत्र के रूप में प्रस्तुत किया है।

उन्होंने बताया चुनाव से सीधे जुड़ी सबसे बड़ी घोषणा दो हेक्टेयर से कम के किसानो को तीन किश्तों में प्रतिवर्ष 6 हज़ार रुपये देने की है।राहुल गांधी ने कुछ ही दिन पहले सभी को न्यूनतम वेतन देने की बात की थी। कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि बजट की यह घोषणा उसी बयान की नक़ल है। BJP समर्थकों का कहना है कि राहुल गांधी ने बजट में ऐसी घोषणा होने की प्रत्याशा में अपनी बात रखी थी। बहरहाल12 करोड़ किसान परिवार इससे लाभान्वित होंगे। बजट की दूसरी बड़ी घोषणा असंगठित क्षेत्रों के मज़दूरों जैसे रिक्शाचालक,मोची ,घरेलू नौकर ,निर्माण मज़दूर इत्यादि को 60 वर्ष की अवस्था के बाद तीन हज़ार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने की बात है। तीसरी घोषणा किसानों के क़र्ज़ पर ब्याज कम करने की है। इस तरह बजट में अन्य वर्गों को भी छूट दी गई है जैसे MSME उद्योगपतियों को 1 करोड़ तक के ऋण पर 2% ब्याज की छूट दी गई है। मछुआरों अनुसूचित जाति ,जनजाति  तथा घुमक्कड़ जातियों आदी के लिए भी प्रावधान किया गया है।


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