अधिकारियों ने बताया कि विभाग पहले से ही मास्टर प्लान की ऑनलाइन प्रक्रिया को अपना रहा है। इसके बाद भी नियमों के कारण प्रदेश के टीएंडसीपी दफ्तरों में मास्टर प्लान की किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। एक नियम में संशोधन या निवेश क्षेत्र में प्रावधानों में बदलाव के बाद फिर नए तरीके से संबंधित विकास योजना की नए सिरे से पुस्तकें छपवाना पड़ती थीं। इससे सरकार का खर्च भी अधिक होता था। टीएंडसीपी ने यह भी निर्णय लिया है कि नवंबर में आने वाले मास्टर प्लान पेपरलेस होंगे।
विभाग के शोध के लिए काम आता है वाचनालय
मास्टर प्लान को खरीदने के लिए भी लोगों को राशि खर्च करनी होती है। लिहाजा, लोग भी इन्हें खरीदाने से परहेज ही करते हैं। इसके अलावा टीएंडसीपी के वाचनालयों में भी महीनों में दर्जन भर लोग भी मुश्किल से पहुंचे हैं। वाचनलायों में किताबों का उपयोग भी सिर्फ विभाग द्वारा नियमों, संशोधित नियमों, अन्य प्रदेशों की नीतियों व प्लानिंग, पुराने व नए प्रावधानों को समझने के लिए शोध के रूप में किया जाता है।
सिर्फ रिकॉर्ड के लिए छपेंगी किताब
टीएंडसीपी संचालनालय ने निर्णय लिया है कि नया मास्टर प्लान हो या नियमों व प्रावधानों में संशोधन, अब सिर्फ रिकॉर्ड के लिए ही पुस्तकों को छपवाया जाएगा। इसके अलावा टीएंडसीपी के वाचनालय भी रहेंगे। दरअसल, प्रदेश के अर्बन प्लानिंग के संबंधित पुराने रिकॉर्डों को ऑनलाइन करना संभव नहीं है। लिहाजा, शोध व पुरानी किताबों के अध्ययन का काम यहां जारी रहेगा।