शिवराज की घेराबंदी में नाकाम रही कांग्रेस की रणनीति

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भोपाल। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ उतार कर बड़ा दांव चला था। कांग्रेस की रणनीति थी कि शिवराज के खिलाफ किसी कद्दावर नेता को उतार कर उनकी घेराबंदी की जाए। लेकिन इस चाल में कांग्रेस नाकामयाब हो गई। शिवराज ने पूरे प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों के लिए मोर्चा संभाला और अपने बेटे कार्तिकेय के भरोसे बुदनी को छोड़ दिया। तमाम विरोध के बाद भी कार्तिकेय चौहान मैदन में डटे रहे और उनके पिता को बुदनी का रुख नहीं करना पड़ा। 

शिवराज ने बुदनी में सभा कर स्थानीय लोगों से अपील की थी कि इस बार चुनाव में उन्हें शिवराज का खयाल रखना है। उसके बाद वह जनता का खयाल रखेंगे और प्रचार की जिम्मेदारी पत्नी साधना सिंह और उनके बड़े बेटे कार्तिकेय चौहान को सौंपी थी। बुदनी विधानसभा में घर घर जा कर उनके परिवार ने प्रचार किया। इस दौरान उन्हें कई जगह विरोध भी झेलना पड़ा। हालांकि, इन सबके बाद भी वह अपने प्रचार में डटे रहे। चौहान को उनके क्षेत्र में अपनी जीत के लिए पूरा विश्वास है। शिवराज 2003  बुदनी से 35000 से अधिक वोटों से जीते थे। इसके बाद जीत का अंतर लगातार बढ़ता गया। शिवराज को जनता का आशीर्वद वोट के रूप में मिलता गया और यहां उनका बड़ा वोटबैंक बन गया। 2008 में उन्होंने 41 हजार से अधिक और 2013 में 84 हजार से अधिक वोट के अंतर से जीत हासिल की थी। 


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