नई सरकार के गले पड़ा ‘कर्जमाफी’ का वचन, अब भी नाखुश हैं ‘किसान’

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भोपाल| मध्य प्रदेश में 15 साल का वनवास ख़त्म कर सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस के लिए संजीवनी बनी कर्जमाफी की घोषणा अब गले की फांस बन गई है| सरकार बनने के दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ़ करने के वादे को कमलनाथ ने सीएम बनने के कुछ ही घंटों में पूरा करने का दावा किया है| लेकिन किसान कर्जमाफी का फार्मूला न बताकर सिर्फ एक आदेश जारी होने से गफलत की स्तिथि बन गई है| किसानों में इसको लेकर नाराजगी है और एक बार फिर किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं| वहीं किसान संगठनों ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लेकर खिलाफत शुरू कर दी है| कर्जमाफी के आदेश सामने आने के बाद से ही सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक कर्जमाफी का मुद्दा छाया हुआ है और लोग इसे धोखा मान रहे हैं| कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए कर्जमाफी का फैसला गले की फांस बन गया है| इस वादे को पूरा होने के बाद जिस तरह किसानों को खुशी होना थी वो दिखाई नहीं दे रही है, हालाँकि कांग्रेस खेमे में इस फैसले को लेकर उत्साह है| वहीं भाजपा इस पर सवाल उठा रही है| अब देखना होगा कर्जमाफी की पूरी कहानी कब तक सामने आती है| 

दरअसल, प्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पदभार संभालते ही प्रदेश के  किसानों की कर्जमाफी के आदेश जारी कर दिए हैं। जिसके तहत 31 मार्च 2018 की स्थिति में सभी सहकारी एवं राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्जदार किसानों 2 लाख रुपए तक की बकाया राशि माफ की जाएगी। कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा की ओर से कर्जमाफी के आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने के बाद बल्लभ भवन की नई एनेक्सी का लोकार्पण किया। इसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठकर अधिकारियों के साथ चर्चा की। बैठक में मुख्यमंत्री कांग्रेस का वचन पत्र लेकर बैठे थे। 


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