भोपाल। विधानसभा चुनाव में हार के बाद मप्र भाजपा में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी नेताओं के बीच की गुटबाजी अब सामने आने लगी है। यहां तक अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर हाशिये पर आ गए हैं। 2008 एवं 2013 के चुनाव में प्रदेशाध्यक्ष रहते पार्टी को जीत दिला चुके तोमर की संगठन में पकड़ कमजोर होने लगी है। प्रदेश संगठन की ओर से दोनों नेताओं को पहले की तवज्जो देना बंद कर दिया है। यही वजह है कि शिवराज संगठन की बैठकों को छोड़कर अब भ्रमण पर समय बिता रहे हैं। वहीं विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद तोमर बमुश्किल दो बार ही अल्प प्रवास पर भोपाल आए हैं। जल्द ही दोनों नेताओं को मप्र भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल कर दिया जाएगा।
सत्ता से बेदखल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी संगठन में अंदरूनी तौर पर काफी बदलाव हो रहा है। भाजपा आलाकमान के इशारे पर दोनों नेताओं को मप्र संगठन में किनारे किया जा रहा है। यूं तो मप्र भाजपा में शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र सिंह तोमर की जोड़ी केंद्र की मोदी-शाह की जोड़ी की तरह मानी जाती रही है। दोनों नेताओं के बीच जिस तरह का तालमेल है, वह अन्य किसी नेताओं के बीच नहीं है। विधानसभा चुनाव से दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ी है। चुनाव हारने के बाद मप्र भाजपा में शिवराज सिंह चौहान को किनारे किया जा रहा है, वहीं केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की भी पूछपरख कम हो रही है। चुनाव तक संगठन की हर तरह की गतिविधियों में शामिल रहे तोमर की इन दिनों मप्र भाजपा से दूरी बढ़ गई है। उन्हें लंबे समय से संगठन की बैठकों में शामिल नहीं किया गया है। मजेदार बात तो यह है कि पिछले दिनों भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह ने भी शिवराज सिंह चौहान को मामा के नाम से पहचानने से इंकार कर दिया था। यह हाईकमान के इशारे पर मप्र भाजपा की सोची समझी रणनीति है। इस रणनीति के तहत मप्र संगठन ने शिवराज और तोमर से भी दूरी बनाना शुरू कर दिया है।