लॉकडाउन के दौरान संस्कारधानी में कम हुआ महिला अपराधों का आंकड़ा, 15 फ़ीसदी तक आई गिरावट

जबलपुर, संदीप कुमार। संस्कारधानी के नाम से मशहूर महाकौशल के केंद्र जबलपुर में कोरोना के कारण लगे लॉडाउन ने भले ही अर्थव्यवस्था को कुछ हद तक प्रभावित किया हो, लेकिन लॉकडाउन के दौरान महिला अपराधों में भी खासा कमी आई लाई है। बीते साल के मुकाबले इस साल महिला संबंधी अपराधों में गिरावट देखी गई है। हलांकि इस दौर में हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट की घटनाएं जरूर बड़ी है।

महिला संबंधित अपराधों में कमी को लेकर जबलपुर एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि कोरोना काल में पुलिस का अलर्ट रहना और महिलाओं का घर पर ही रहना अपराधों के कम होने की बड़ी वजह है। इधर आल इंडिया वूमन कॉन्फेंस की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गीता शरद तिवारी ने बताया कि निश्चित रूप से कोरोना काल में महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में गिरावट जरूर आई है। उसकी वजह है कि लॉकडाउन के समय उनका घर से न निकलना है। गीता शरद तिवारी का यह भी कहना है कि इन दौरान घरेलू हिंसा की जरूर कुछ महिलाएं शिकार हुई हैं, जिस पर कि शासन प्रशासन को गौर करना चाहिए।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।