मान्यता है कि दिवाली (Diwali) की रात महालक्ष्मी पृथ्वी के भ्रमण पर निकलती हैं और जो कोई भी सच्चे मन तथा विधि विधान से मां लक्ष्मी की प्रार्थना करता है, लक्ष्मीजी उसपर कृपालु होती हैं। इसीलिये दीपावली की शाम मां लक्ष्मी (lakshmi pooja) की आराधना का विशेष महत्व होता है। एक मान्यता ये भी है कि श्रीराम सीता मैया और अनुज लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के बाद इस दिन अयोध्या लौटे थे, इसीलिये उनके सत्कार में सारी अयोध्या में दीपक जलाए गए थे और तभी से ये दिन प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
इस वर्ष 14 नवंबर 2020 को दीपावली मनाई जा रही है और ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहों के विशेष संयोग से इस बार की दीपावाली अत्यंत विशेष है। इस साल दिवाली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग (sarvartha siddhi yog) बन रहा है और कहा जा रहा है कि ये योग 17 साल बाद आया है जो बेहद लाभकारी सिद्ध होगा।
पूजन का शुभ मुहूर्त
व्यापारिक प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, गद्दी की पूजा, कुर्सी की पूजा, गल्ले की पूजा, तुला पूजा, मशीन-कंप्यूटर, कलम-दवात आदि की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित- दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से आरम्भ हो जाएगा। इसी के मध्य क्रमशः चर, लाभ और अमृत की चौघडियां भी विद्यमान रहेंगी जो शायं 04 बजकर 05 मिनट तक रहेंगी।
इसके अतिरिक्त गृहस्थ पूजन हेतु सायं 5 बजकर 24 मिनट से रात्रि 8 बजकर 06 तक प्रदोषकाल मान्य रहेगा। इसके मध्य रात्रि 7 बजकर 24 मिनट से सभी कार्यों में सफलता और शुभ परिणाम दिलाने वाली स्थिर लग्न वृषभ का भी उदय हो रहा है। प्रदोष काल से लेकर रात्रि 7 बजकर 5 मिनट तक लाभ की चौघड़िया भी विद्यमान रहेगी। यह भी मां श्रीमहालक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए श्रेष्ठ मुहूर्तों में से एक है। इसी समय परम शुभ नक्षत्र स्वाति भी विद्यमान है जो 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इस समय के मध्य में मां श्रीमहालक्ष्मी जी की पूजा-आराधना करना श्रेष्ठतम रहेगा।
पूजन विधि
एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उसपर माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद हाथों में जल लेकर मूर्ति पर छिड़के और इस मंत्री का जाप करें
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा |
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर : शुचि: ||
इसके पश्चात ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणनाय नम: ॐ माधवाय नम: का जाप करते हुए गंगाजल का आचमन करें। हाथ में जल लेकर दीपावली पूजा का संकल्प लें और हाथ में अक्षत, फूल, जल एवं सिक्का लेकर संकल्प करें तथा अपनी श्रद्धानुसार माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, श्री गणेश का आह्वान करें और पूजन करें। इस दौरान लक्ष्मी चालीसा, गणेश चालीसा, लक्ष्मी स्त्रोत, गणेश स्त्रोत और कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। फिर माता महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप कर आरती करें और प्रसाद स्वरूप फल मिठाई आदि का भोग लगाएं।