युवाओं के बीच दिखा सिंधिया का अलग अंदाज, कार्तिकेय को लेकर कही ये बड़ी बात

Atul Saxena
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सीहोर/नसरुल्लागंज, अनुराग शर्मा। मैं बधाई देना चाहता हूं कार्तिकेय को, हर नौजवान चाहता है कि अपना मार्ग प्रशस्‍‍‍त हो और कार्तिकेय (Kartikey)उस परिवार से है, जिन्होंने एक पीढ़ी नहीं दो पीढ़ी नहीं, लेकिन अपना पूरा जीवन जनसेवा के लिए समर्पित किया है। मैं कार्तिकेय में एक ऊर्जा देखता हूं केवल नेतृत्व कार्य की नहीं , लेकिन नेतृत्व करने की क्षमता के साथ सभी लोगों को एक साथ एक ही माला में पिरोकर एकता के साथ केंद्र की विकास की संभावना को मैं देखता हूं। यह बात रविवार को नसरुल्लागंज के उत्कृष्ट मैदान पर प्रेम सुंदर मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट और  रोजगार मेले का शुभारंभ करने पहुंचे राज्‍यसभा सदस्‍य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने (Jyotiraditya Scindia) अपने संबोधन में कही।उन्‍होंने कमान पर तीर साधा और मांदल पर थाप भी दी।

उन्‍होंने कहा आज रोजगार मेले का उद्घाटन हमने किया। क्रिकेट तो वैसे ही एक मेला है। दो चीजें देश को जोड़ती है, एक राष्ट्रवाद की साेच, राष्ट्रवाद का संकल्प दूसरा क्रिकेट का प्रेम इस देश को जोड़कर रखता है। आज कर्तिकेय (Kartikey) ने जो यहां करके दिखाया है हर पंचायत में एक टीम को संगठित करके यह जो प्रतियोगिता आयोजित की, उसमें से जो निचोड़ निकला है, इन 14 टीमों की और जब यह टीम अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगी, वहीं दूसरी तरफ रोजगार का मेला। यहां कार्तिकेय (Kartikey) ने एक समावेश व संगम किया है। मैं इन खिलाड़ि‍यों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने शुरुआत गांव से की है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में बुधनी व नसरुल्लागंज की माटी से भी खिलाडी उभरेंगे, जो प्रदेश व देश का नाम करेंगे। मैं स्टेट आफिसर को कहना चाहता हूं कि यह बुधनी मुख्यमंत्री का विधान सभा क्षेत्र है। अगले साल हर पंचायत में मैटिंग में विकेट लगना चाहिए। टेनिस बाल नहीं सीजन बाल का उपयोग होना चाहिए, वहीं से जो प्रशिक्षण आपको मिलेगा। इस मैदान को भी भव्य बनाया जाएगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....