नोटिस की वजह
दरअसल बीती 16 फरवरी को नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) के उपलक्ष्य में मध्यप्रदेश के नर्मदा तटों पर नर्मदा जन्मोत्सव (narmada janmotsav) मनाया गया था। जिसके चलते नर्मदा काफी प्रदूषित हो गई थी। इसी के चलते महाशिवरात्रि (Maha shivratri) मेले के दौरान नर्मदा में प्रदूषण बढ़ने आशंका जताई गई है।
प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने जानकारी देते हुए बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने जो दिशा-निर्देश जारी किए थे। उनका समुचित पालन नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि नर्मदा जल निरंतर प्रदूषित (Polluted) होता चला जा रहा है। लिहाजा, नर्मदा तटों पर सख्ती की खासी आवशयकता है। भक्ति-भाव अपनी जगह पर है लेकिन पर्यावरणीय चेतना भी आवश्यक है।
नर्मदा को प्रदुषण बचाने के लिए ग्वारीघाट (Guarighat) तिलवाराघाट (Tilwara Ghat) पर आयोजन के दौरान पुलिस बल की तैनाती के निर्देश दिए गए है। वहीं अधिवक्ता दीपांशु साहू ने बताया कि एनजीटी में अधिवक्ता प्रभात यादव पैरवी करेंगे। वहां इस बात पर खास ध्यान रखा जाएगा कि प्रदूषकों से क्षतिपूर्ति की वसूली की जाए। वही अगर जिम्मेदार अमले अपनी दी गई ड्यूटी में असफल रहे तो उन्हें जुर्माना भरना होगा। गलत रास्ते को सही करने का यही रास्ता है। प्रमुख सचिव वन विभाग को जो रिपोर्ट सौंपी जानी थी। वह रिपोर्ट जिम्मेदार अधिकारियों से अब तक नहीं सौंपी है। इस तरह के रवैया बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर (Jabalpur) से लेकर अमरकंटक (Amarkantak) और खंबात की खाड़ी (Gulf of Khambhat) तक नर्मदा के मूल स्वरूप को बचाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
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