राजनीति की भेंट चढ़ी माधव राव सिंधिया की प्रतिमा, जयंती पर नहीं ली किसी ने सुध

डबरा,सलिल श्रीवास्तव। राजनीति में सब कुछ संभव है, इसका उदाहरण आज उस समय देखने को मिला जब क्षेत्र को पहचान देने वाले कैलाशवासी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की जयंती के अवसर पर ना तो कांग्रेसी, ना भाजपाई और ना ही राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia)  के साथ गए उनके समर्थकों ने प्रतिमा पर पहुँचकर माल्यार्पण करना मुनासिब  समझा। जबकि पूर्व में सुबह से ही कांग्रेसियों का जमावड़ा प्रतिमा के पास लग जाता था और उसे मालाओं से लाद दिया जाता था साथ ही नेता अपने अपने फोटो खींचा कर उसे लोगों को दिखाते नहीं थकते थे।

सबसे बड़ी बात इस क्षेत्र में कांग्रेसी विचारधारा की जनता है और कांग्रेसी विधायक हैं पर किसी ने भी इस प्रतिमा के पास जाना मुनासिब नहीं समझा। भाजपाई तो कभी भी माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए नहीं पहुंचे पर जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए तो कई निष्ठावान कांग्रेसी भाजपा के दामन में आ गए पर आज कांग्रेसी कहें या भाजपाई उन्होंने भी इस प्रतिमा के पास जाना जरूरी नहीं समझा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....