नर्मदा जल योजना में भ्रष्टाचार का मुद्दा फिर गर्म, भीषण गर्मी में बून्द बून्द को तरस रहे लोग

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खण्डवा | सुशील विधानी । मध्यप्रदेश के खण्डवा शहर में पीपी मोड पर क्रियान्वित  की जा रही नर्मदाजल योजना आम नागरिकों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है । ठेकेदार विश्वा  यूटिलिटीज अनुबंध के मुताबिक न तो शहरवासियों को 24 घंटे प्रतिदिन पेयजल की सहज, शुद्ध और सुगम  आपूर्ति कर पा   रही है और न ही  नगर निगम विश्वा से काम करवा पा रही है । लिहाजा शहरवासियों की मुसीबतें कम होने का नाम ही नही ले रही है । नगर निगम नर्मदा जल योजना पर 109 करोड़ और अमृत योजना पर 50 करोड़ फूंक चुकी है बावजूद इसके नर्मदा की मुख्य पाइप लाइन सहित डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें हर रोज़ फूट रही है इसके साथ ही लाखों शहरवासियों की आस भी टूटने लगी है । बीते बीस सालों से नगर निगम मे भाजपा की परिषद काबिज है । मतदाता  लगातार भाजपा पर भरोसा कर उसकी परिषद को कमान सौंपते रहे हैं लेकिन नर्मदा जल योजना की खामियों और अव्यवस्था पर लगाम कसने में निगम प्रशासन फिसड्डी साबित हो रहा है । ताजा हालातो में  जहाँ एक ओर महापौर और उनकी परिषद की कथित  कारगुजारियों के चलते  नंदकुमारसिंह चौहान को मतदाताओ की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है तो वही दूसरी ओर निगम परिषद के निकम्मेपन ने कांग्रेस को फ्रंट फुट पर खेलने का अवसर दे दिया है ।अब कांग्रेस कह रही है कि वह लोकसभा चुनाव के बाद पूरी योजना की जांच कराएगी । 

जिला मुख्यालय खण्डवा से 52 किमी दूर हरसूद ब्लाक के चारखेड़ा फिल्टर प्लांट से नर्मदा के  बैक वाटर को खण्डवा लाया जा रहा है । चारखेड़ा से खण्डवा के बीच पड़ने वाले दर्जनों गांवों से मुख्य पाइप  लाइन गुजर रही है । लोगो के खेतों के समीप से गुजर रही यह पाइप लाइन कभी भी दिन में या रात में फुट कर जलापूर्ति बाधित कर रही है । इस  फूटी लाइन को सुधारने में कभी कभी 72 घंटे भी लग रहे हैं ऐसे में शहर में त्राहि त्राहि मच रही है ।हालांकि नगर निगम वैकल्पिक व्यवस्था कर रहा है मगर वह ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रही है । 


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