Dabra news:अघोषित बिजली कटौती, बेहाल जनता !

डबरा,डेस्क रिपोर्ट। डबरा शहर जो कि अपनी कृषि मंडी के लिए पूरे भारत में पहचान रखता है इस समय प्रशासनिक नजरंदाज़ी से बुरी तरह से पीड़ित है। कहते हैं बिजली, पानी, सड़के और सफाई किसी भी शहर की पूरी कहानी बयां करते हैं, अगर यह बात सच है तो डबरा शहर की कहानी इस समय एक बुरे अध्याय से गुजर रही है।

बात हो शहर की सड़कों की, सफाई की, पानी की या बिजली की यहां हर तरफ हाल बेहाल है। आए दिन शहर में बिजली की कटौती लगता हैं अब आम बात हो गई है। हर महीने मेंटेनेंस के नाम पर कई घंटों लाइट काटने के बाद भी आलम यह है कि कभी भी किसी भी इलाके की बिजली बिना किसी जानकारी के गुल कर दी जाती है। शिकायत करने पर जवाब मिलता है कि “समस्या ढूंढ रहे हैं जल्द ही बिजली चालू कर दी जाएगी”, इसके बाद भी कई बार कई घंटो तक बिजली गायब रहती है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।