ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं दिग्विजय सिंह के बेटे विधायक जयवर्धन सिंह (Jaywardhan Singh) ने भाजपा (BJP)को लेकर बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पर निशाना साधते हुए जयवर्धन ने कहा कि जब से सिंधिया जी भाजपा में गए हैं तब से भाजपा तीन धड़ों में बंट गई है, एक है शिवराज भाजपा, दूसरी महाराज भाजपा और तीसरी नाराज भाजपा।
ग्वालियर पहुंचे पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह (Jaywardhan Singh) ने बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं अपैक्स बैंक के पूर्व चेयरमेन अशोक सिंह के घर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अब सिंधिया जी कांग्रेस का विषय नहीं रहे हैं, जब से सिंधिया जी भाजपा में गए हैं, कांग्रेस पर जो गुटबाजी का आरोप लगता था वो ख़त्म हो गया है। कांग्रेस पहले भी एकजुट थी और आज भी है।
पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि जब से सिंधिया जी भाजपा में गए हैं तब से भाजपा तीन हिस्सों में बंट गई है , एक है शिवराज भाजपा, दूसरी महाराज भाजपा और तीसरी नाराज भाजपा। उन्होंने कहा कि ग्वालियर चम्बल संभाग में पहले से ही नरेंद्र सिंह तोमर, वीडी शर्मा जैसे बड़े नेता थे अब सिंधिया जी भी आ गए हैं इसलिए यहाँ भाजपा में गुटबाजी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर चम्बल संभाग में भाजपा के अंदर ही बहुत लड़ाई चल रही है।
ग्वालियर चम्बल संभाग में कांग्रेस के बड़े चेहरे के गायब होने और एक चेहरा बनने के सवाल के जवाब में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं हैं, यहाँ पूर्व मंत्री गोविन्द सिंह हैं, रामनिवास रावत हैं, पूर्व मंत्री लाखन सिंह हैं, विधायक प्रवीण पाठक, सतीश सिकरवार, सुरेश राजे हैं और मैं भी इसी संभाग से हूँ। जहाँ मेरे जरुरत होगी जी जान से हाजिर रहूंगा।
जातिगत जनगणना को सही बताते हुए जयवर्धन सिंह ने कहा कि ये बहुत जरुरी हैं इसपर सोचविचार होना चाहिए। उन्होंने ओबीसी आरक्षण के सवाल पर कहा कि जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे और हम कैबिनेट का हिंसा थे तब तय हुआ था कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा लेकिन बहुत अफ़सोस की बात है कि सरकार जैसे ही बदली तो सरकार के एडवोकेट जनरल ने जो उत्तर कोर्ट में दिया उसमें कहा कि जो अभी 13, 14 प्रतिशत आरक्षण देना है वो अभी संभव नहीं है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....