देवास/बागली, सोमेश उपाध्याय। भगवान श्री राम ने लंका पार करने के लिए सागर में पत्थर तैरा कर सेतु बना दिया था।परन्तु वर्तमान में आपसे कोई पानी मे पत्थर तैराने की बात करेंगे तो क्या आप मानेंगे, बिल्कुल नही। परन्तु ऐसा मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के देवास जिले (Dewas District) के बागली विकासखंड की हाटपिपल्या तहसील में होता है। यहां भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा पानी में तैरती है, जिसके गवाह बनते है हजारों लोग।यहां हर साल डोल ग्यासर (Dol Gyaras 2021) पर नृसिंह भगवान की प्रतिमा को नदी में तीन बार तैराया जाता है।
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डोल ग्यारस पर नृसिंह घाट पर भमोरी नदी में भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी पाषाण प्रतिमा तीनों बार तैर गई। कुल तीन बार तैरने के लिए जल सतह पर छोड़ा था। प्रतिमा के तैरते ही घाट पर मौजूद जनसमुदाय ने भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए। मान्यता अनुसार प्रतिमा का तीनो बार तैरने का अर्थ है कि आने वाला साल सुख-समृद्धि लाएगा।प्रति वर्ष यह आयोजन भब्य पैमाने पर होता है परन्तु इस वर्ष कोविड19 प्रोटोकॉल के कारण प्रशासनिक सख़्ती दिखीं। ।इस वर्ष तीनो बार प्रतिमा तैरी।इसका आशय यह निकाला जा रहा है कि आगामी वर्ष सुखद होने वाला है!