ग्वालियर, अतुल सक्सेना। गांधी जयंती पर सफाई अभियान में शामिल होकर लौट रहे भाजपा कार्यकर्ता (BJP Workers) उस समय भड़क गए जब आकाशवाणी तिराहे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) की एक महिला अधिकारी ने एक कार्यकर्ता को रोक लिया और चलानी कार्रवाई की बात करने लगी। भाजपा कार्यकर्ता ने इसका विरोध किया और अपने साथियों को बुला लिया तो वहां विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि भाजपा कार्यकर्ता उत्तेजित हो गए और महिला अधिकारी को हटाने की मांग करते हुए सड़क पर धएने पर बैठ गए। मौके पर पहुंचे भाजपा नेताओं का कहना था कि महिला पुलिस अधिकारी ने उनके कार्यकर्ता के साथ अभद्र व्यहवहार किया और उस पर शराब पीकर गाड़ी चलाने का झूठा आरोप लगाया।
गांधी जयंती के अवसर पर भगत सिंह मंडल और रामकृष्ण मंडल के कार्यकर्ता सफाई अभियान में शामिल होकर लौट रहे थे। इसी दौरान आकाशवाणी तिराहे पर ट्रैफिक पुलिस में तैनात एक महिला सूबेदार ने एक भाजपा कार्यकर्ता को रोक लिया। कुछ कमियां मिलने पर सूबेदार और भाजपा कार्यकर्ता के बीच मुंहवाद शुरु हो गया।
सूचना मिलने पर मंडल अध्यक्ष उमेश भदौरिया पहुंच गए, लेकिन महिला अधिकारी अपनी बात पर अड़ी रही भाजपा कार्यकर्ता महिला पुलिस अधिकारी के व्यवहार से उखड़ गए और वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए। मामले की सूचना मुरार के अन्य कार्यकर्ताओं को मिली तो वे भी धरना स्थल पर पहुंच गए। और महिला सूबेदार को हटाने की मांग करने लगे।
वार्ड नंबर 57 मुरार के पूर्व पार्षद ब्रजेश गुप्ता ने मीडिया को बताया कि हमारा एक कार्यकर्ता पीछे रह गया तो ट्रैफिक पुलिस में तैनात महिला सूबेदार ने उसे रोक लिया और अभद्र व्यवहार करते हुए उसपर शराब पीकर गाड़ी चलाने का आरोप लगाने लगी। मंडल अध्यक्ष पहुंचा तो उनसे भी अभद्रता की मैं भी पहुंचा तो उन्होंने मेरे साथ भी ठीक व्यवहार नहीं किया। भाजपा नेता ने कहा कि जब भाजपा की सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है तो आम जनता के साथ ये कैसा व्यवहार करते होंगे। इसलिए हमने मैडम को हटाने की हटाने मांग करते हुए धरना दिया।
विवाद की जानकारी मिलते ही ट्रैफिक डीएसपी नरेश अन्नोटिया भी मौके पर पहुंचे उन्होंने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को समझाया और मामला शांत कराया। डीएसपी नरेश अन्नोटिया ने कहा कि विवाद जैसी कोई बात नहीं है कुछ कहा सुनी हो गई थी, मामला सुलझ गया है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....