हरिकथा, मीलाद और शहनाई वादन के साथ पारंपरिक ढंग से शुरू हुआ तानसेन समारोह

ग्वालियर  । संगीत सम्राट तानसेन की याद में मनाया जाने वाला भारतीय शास्त्रीय संगीत का  पांच दिवसीय उत्सव तानसेन संगीत समारोह का शुभारम्भ हरिकथा , मीलाद वाचन और शहनाई वादन के साथ पारंपरिक ढंग से तानसेन की समाधि पर हुआ।

अकबर के नवरत्नों में से संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली हैं ग्वालियर यहीं पर उन्होंने सुरों का रियाज किया और उनकी निधन के बाद उन्हें उनके आध्यात्मिक गुरु  मोहम्मद गौस के मकबरे के पास उनकी इच्छा अनुसार  दफनाया गया था। उनकी याद में उनके समाधि स्थल पर मध्य प्रदेश सरकार हर साल भव्य संगीत समारोह का आयोजन करती है। समारोह की औपचारिक शुरुआत से पहले गंगा जमुनी तहजीब की खूबसूरत मिसाल। देखने को मिलती है और यहीं से तानसेन समारोह की शुरुआत होती है । आज यहां संत ढोली बुआ महाराज संतोष पुरंदरे ने संगीतमय हरि कथा कहकर संगीत सम्राट तानसेन का आव्हान किया तो वही मुस्लिम समाज के धर्मगुरु कामिल हजरत ने मीलाद पढ़कर चादर पोशी की  रस्म अदायगी की वही मजीद खां और साथियों ने शहनाई वादन किया  दोनों धर्मगुरुओं ने कहा कि तानसेन समारोह पूरे विश्व को हिंदू मुस्लिम एकता की सीख देता है यह केवल केवल ग्वालियर की धरा पर ही देखने को मिलता है यहां संगीत सम्राट तानसेन को हिंदू रीति रिवाज से याद करता है तो कोई उनकी समाधि पर इबादत कर उन्हें याद करता है। 21 दिसंबर तक चलने वाले तानसेन समारोह की औपचारिक शुरुआत आज शाम तानसेन समाधि हजीरा पर होगी इसमें ग्वालियर घराने के सुप्रसिद्ध गायक पंडित विद्याधर व्यास को तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया जायेगा।


About Author
Avatar

Mp Breaking News