भोपाल। नगर निगम अपनी ही असर्मथता के कारण घोटालों के बोझतले दबता जा रहा है। निगम प्रशासन अपने ही आखों के नीचे डीजल के नाम पर हो रही गडबडियों को रोकने में नाकामयाब हो रहा है। इस बात को आप ऐसे समझ सकते हैं हर महीने 4 करोड रूपए की डीजल की खपत होती है। जिसमें से लाखों रूपए के डीजल की चोरी हो जाती है। इस घोटाले की जानकारी सामने आने के बाद निगमायुक्त ने संदेह के घेरे में आने वाले अधिकारियों को 5 बार नोटिस जारी कर चुकें हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक 90 फीसदी अधिकारियों ने इसका जवाब देना तक उचित नहीं समझा। जबकि इस नोटिस का जवाब 7 दिनों के अंदर मांगा गया था।
2017 में उजागर हुआ था घोटाला
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