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क्या कहता है विज्ञान: क्या होता है DNA, इससे कैसे पता चलता है हमारे पूर्वजों के बारे में?

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डीएनए का पूरा नाम डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड है। यह एक अणु है जिसमें किसी जीव के विकास, कामकाज और विशेषताओं की पूरी आनुवंशिक जानकारी छिपी होती है। इसकी संरचना डबल हेलिक्स यानी मुड़ी हुई सीढ़ी की तरह होती है।

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डीएनए में दो स्ट्रैंड होते हैं, जिनमें शुगर (डिऑक्सीराइबोज) और फॉस्फेट की रीढ़ होती है। इनमें चार बेस (A, T, C, G) होते हैं, जो रासायनिक बंधों से जुड़े होते हैं। एडेनिन (A) थाइमिन (T) के साथ और साइटोसिन (C) गुआनिन (G) के साथ जुड़ता है।

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डीएनए के बेस की सीक्वेंस में प्रोटीन और RNA अणु बनाने की जानकारी होती है। यही जानकारी पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है, जिससे शरीर की विशेषताएं, जैसे दो पैर या चार पैर, निर्धारित होती हैं।

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डीएनए की संपूर्ण जानकारी को जीनोम कहते हैं। वैज्ञानिक जीनोम का अध्ययन कर यह पता लगाते हैं कि किसी विशेष गुण के लिए डीएनए का कौन-सा हिस्सा जिम्मेदार है।

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 वैज्ञानिक पुरानी कब्रों, ममी आदि से डीएनए लेकर उनका जीनोम अध्ययन करते हैं। इन आंकड़ों की तुलना वर्तमान इंसानों के डीएनए से की जाती है, जिससे पूर्वजों की जानकारी मिलती है।

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सभी इंसानों के डीएनए का 99% हिस्सा समान होता है। लेकिन छोटे-छोटे अंतर, जिन्हें वेरिएंट कहते हैं, व्यक्ति की पहचान, वंश और स्वास्थ्य की जानकारी प्रदान करते हैं।

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डीएनए टेस्टिंग के लिए लार या किसी शारीरिक कोशिका से सैंपल लिया जाता है। इसके बाद, डीएनए की तुलना पूर्वजों के जीनोम डेटा से की जाती है। यह प्रक्रिया सटीक जानकारी देती है कि आपके पूर्वज कौन थे।

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आज कई कंपनियां डीएनए टेस्टिंग सेवाएं प्रदान करती हैं। इनके पास जीनोम डेटा का विशाल कलेक्शन होता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि आपके पूर्वज किस क्षेत्र, संस्कृति या समूह से संबंधित थे।

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