इस जनजाति की महिलाएं पूरे जीवन में केवल एक बार स्नान करती हैं, वह भी बिना पानी के, फिर भी उनका शरीर स्वच्छ बना रहता है।
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नामीबिया की हिम्बा जनजाति की महिलाएं जीवन में केवल एक बार, अपनी शादी के दिन नहाती हैं, और उसके बाद पानी का उपयोग नहीं करतीं।
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ये महिलाएं खुद को साफ रखने के लिए विशेष जड़ी-बूटियों को उबालकर उनकी भाप लेती हैं और धुएं से स्नान करती हैं, जिससे शरीर से बदबू नहीं आती।
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हिम्बा महिलाएं अपनी त्वचा को धूप से बचाने के लिए जानवरों की चर्बी और हेमाटाइट खनिज से बना लोशन लगाती हैं, जिससे उनकी त्वचा लाल रंग की दिखती है।
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हिम्बा जनजाति के लोग पशुपालन, कृषि और शिकार पर निर्भर रहते हैं और कठोर रेगिस्तानी लाइफस्टाइल को अपनाते हैं।
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उनका मुख्य आहार मक्के या बाजरे का दलिया होता है, और विशेष अवसरों पर ही मांस खाते हैं। ये लोग गाय, बकरी और भेड़ों का पालन करते हैं।
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इस जनजाति में गायों को संपत्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी के पास गाय नहीं होती, तो उसे समाज में सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता।
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तकनीकी विकास और आधुनिक सभ्यता का हिम्बा जनजाति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। वे आज भी अपनी पारंपरिक लाइफस्टाइल और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।
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इस जनजाति में बच्चे के जन्म की तारीख तब मानी जाती है जब मां उसके बारे में सोचना शुरू करती है। बच्चे के लिए गीतों की रचना करना और सुनना भी इस परंपरा का हिस्सा है।
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