ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को BJP में शामिल हुए भले ही चार महिने हो गए है लेकिन कांग्रेस अबतक महाराज के सदमे से बाहर नही निकल पाई है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक कांग्रेस ने महाराज के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) में मंत्री रहे विधायक और खास करके कांग्रेस के बड़े नेता भी हमले करने से चूक नही रहे है।चारों तरफ से महाराज की घेराबंदी की जा रही है। इसी कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister and Rajya Sabha MP Digvijay Singh) का बड़़ा बयान सामने आया है। दिग्विजय का कहना है कि महाराज आपको कांग्रेस ने जब इतना मौक़ा दिया तो फिर बिना सोनिया-राहुल जी और डॉ मनमोहन सिंह जी (Sonia-Rahul & Dr. Manmohan Singh ) से मिले आप क्यों चले गए।
दरअसल, दिग्विजय ने ट्वीटर के माध्यम से सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने से पहले के घटनाक्रम का जिक्र किया है। साथ ही लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा सांसद केपी यादव द्वारा मिली हार का भी जिक्र किया है। दिग्विजय ने ट्वीट कर लिखा है कि महाराज आपको कॉंग्रेस ने जब इतना मौक़ा दिया तो फिर बिना सोनिया जी राहुल जी डॉ मनमोहन सिंह जी से मिले आप कॉंग्रेस छोड़ भाजपा में क्यों चले गए जिसने आपको लोक सभा चुनाव में पराजित किया? क्या आपने हार स्वीकार कर दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण नहीं कर दिया? बहादुर लोग तो ऐसा नहीं करते। दिग्विजय के इस ट्वीट मे महाराज के लिए चिंता साफ झलक रही है वही उनके कांग्रेस से जाने का दर्द भी छलकता हुआ नजर आ रहा है।उपचुनाव से पहले इस भावुक ट्वीट के कई सियासी मायने निकाले जा रहे है।हैरानी की बात ये है कि ये ट्वीट ऐसे समय पर सामने आया है जब एक के बाद एक विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी मे शामिल हो रहे है और 26 सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बन गई है।
आगे दिग्विजय ने कर्जमाफी और सड़क पर उतरने के बयान का जिक्र करते हुए लिखा है कि महाराज भाजपा के कृषि मंत्री कमल पटेल कहते है “किसानों का क़र्ज़ माफ करना पाप है”। क्या आप उनके बयान से सहमत हैं? यदि शिवराज चौहान कॉंग्रेस सरकार ने किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने की जो प्रक्रिया शुरू की थी वह उसे पूरा नहीं करते हैं तो क्या आप मप्र सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरेंगे?
इससे पहले पिछले महिने मीडिया से चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि सिंधिया के पार्टी छोड़ने पर मुझे दुख है लेकिन दुख इस बात पर ज्यादा है कि वह उस पार्टी में शामिल हो गए। जहाँ नेताओं की नहीं चलती। मैंने कई बार सिंधिया से कहा था कि मैं और कमलनाथ 73-74 वर्ष के हैं। अगले 20-25 साल आपको ही राजनीति करना है। लेकिन उनमें सब्र नहीं था। उन्हें केंद्र में मंत्री बनना था। जबकि सिंधिया जब कांग्रेस में थे। तो मुरैना से मंदसौर तक अपने कार्यकर्ताओं को पद देते और दिलवा देते थे।