कमलनाथ सरकार की इस नई खनन नीति से रेत माफियों पर कसेगी नकेल

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भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार को होने वाले बड़े नुकसान में एक है अवैध खनन। न सिर्फ सरकार बल्की पर्यावरण को भी इससे लगातार हानी हो रही है। शिवराज की पूर्व सरकार के कार्यकाल में भी ये बड़ी चुनौती थी। तब शिवराज ने नर्मदा नदी में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन बाद में इसे फिर चालू किया गया। अब लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर ये मामला उठा है।  दो दिन से प्रदेश भर में रेत कारोबारियों ने हड़ताल कर रखी है। जिससे सरकारी और गैर सरकार निर्माण कार्यों पर असर पड़ा है। मंगलवार को खनिज मंत्री प्रदीप दयसवाल ने उनके साथ बैठक कर इस मसले को हल करने की बात कही है। कारोबारियों का कहना है कि चैकिंग के नाम पर उनके ट्रकों को रोका जा रहा है। जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

अवैध रेत खनन और रेत माफियाओं पर नकेल कसने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस पर सख्ती से निपटने के लिए कहा था। लेकिन फिलहाल इस और अभी तक सरकार को कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। लेकिन पूर्व की तरह कमलनाथ सरकार के लिए खनन माफियाओं से निपटना इतना आसान नहीं है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा में चौहान सरकार पर आरोप लगाए थे कि शिवराज के रिश्तेदार अवैध खनन करते हैं। मार्च 2017 में विधानसभा में उन्होंने अपने भाषण में आरोप लगाए थे कि मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनका भतीजा अवैध रूप से पर्यावरणीय मंजूरी के बिना, जाहजपुर में अवैध रूप से रेत का उत्खनन कर रहा है। उन्होंने कहा था कि 586  में से 450 खान सिर्फ दो कंपनियों को ही आवंटित की गईं हैं। ये कौन सी कंपनियां है इनके नाम सार्वजनिक किए जाना चाहिए। 


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