किसानों को नहीं मिला मुआवजा, नारज अन्नदाताओं ने किया जलसत्याग्रह आंदोलन

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। सरकार के आश्वासन के बाद भी बीमा की उम्मीद में बैठे किसान को नाम मात्र की बीमा राशि मिलने या बिल्कुल नहीं मिलने से किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। सीहोर के किसानों ने नदी में फसल बीमा की राशि 75 रुपया,90 रुपया और मुआवजा नहीं मिलने से नाराज होकर नदी में खडे होकर जलसत्याग्रह आंदोलन किया।

दअरसल चंदेरी , धामनखेड़ा , ओर शिकारपुर के किसानों का कहना कि हमे अभी तक ना तो फसल बीमा मिला और ना ही अतिव्रष्टि से हुई खराब फसलो मुआवजा। इसी से नाराज हो कर हमें यह कदम उठाना पड़ रहा है। पहले तो सोयाबीन के खेतों में ख़ड़े होकर किसानों ने जमकर नारेबाजी की और बाद में नदी में खडे होकर हाथो में खराब सोयाबीन लेकर जलसत्याग्रह कर प्रदर्शन किया। साथ ही जमकर नारेबाजी की। किसानों ने मांग है की जल्द से जल्द हमारा फसल बीमा दिया जावे और अतिव्रष्टि से खराब हुई फसलो का मुआवजा दिया जाए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।