देवास पुलिस को मिली बड़ी सफलता,नकली नोट बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश

देवास, सोमेश उपाध्याय। जिले पुलिस को आज बड़ी सफलता हाथ लगी है, देवास जिले की बीएनपी थाना पुलिस ने मंगलवार को नकली नोट छापने वाली गैंग का पर्दाफाश किया है। बताया जा रहा है कि आरोपियों के पास कोई काम नहीं था और वो बेरोजगार थे जिसके कारण उन्होंने नकली नोट छापने का प्लान बनाया। पुलिस ने आरोपियों के पास से 100,200 और 500 रुपए के नकली नोट जब्त किए है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी शिव दयाल सिंह ने बताया कि टीआई को मुखबिर द्वारा सूचना मिली थी कि उज्जैन रोड पर विजयगंज मंडी ब्रिज के पास दो आरोपी नकली नोट चला रहे है, जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दीपक पिता कृष्ण मोहन श्रीवास्तव जोकि 22 साल का है और गर्ग स्टेट का रहने वाला है और रोहित परमार पिता संतोष परमार जिसकी उम्र 24 साल है और जो बावडिया का रहने वाला है उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने मौके पर तलाशी ली और आरोपी दीपक के पास से 500 रुपए और 200 रुपए के 100-100 नोट मिले, जो हुबाहू असली नोट जैसे दिख रहे थे। वहीं आरोपी रोहित की तलाशी लेने पर उसके पास से 200 रुपए के 100 नोट मिले। पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर आरोपी दीपक ने बताया कि वो गर्ग स्टेट बावडिया में रहता है और घर पर ही वो फोटोकॉपी स्केनर और कलर प्रिंटर से नकली नोट छापता है। साथ ही अपने साथियों के साथ मिलकर नकली नोटों को बाजार में चलाता है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।