भोपाल| सरकार की डिनर पॉलिटिक्स से दूर रहे पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने अब अपनी ही सरकार को घेरा है| उन्होंने बुरहानपुर में वनवासियों पर गोली चलाने की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए दोषियो पर कार्यवाही की मांग की है| दिग्विजय ने कहा जो घटना हुई है वह मौजूदा शासन की घोषित नीति के विरुद्ध है अत: निंदनीय है| इसी मामले में कांग्रेस विधायक हीरा अलावा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है|
दरअसल, बुराहनपुर में आदिवासियो पर चलाई गई गोली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपनी ही कांग्रेस सरकार को घेरा है| उन्होंने ट्वीट कहा कहा है कि “कमल नाथ जी के नेत्रत्व में कॉंग्रेस की सरकार की प्राथमिकता आदीवासी विकास और उनके अधिकारों का संरक्षण है। जो घटना हुई है वह मौजूदा शासन की घोषित नीति के विरुद्ध है अत: निंदनीय है और तत्काल शासन को दोषी अधिकारीयों पर कार्यवाही करना चाहिये”।
जयस के प्रमुख और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है| पत्र में उन्होंने बताया कि ग्राम सिवल, जिला बुरहानपुर में पुलिस और रेवेन्यू अधिकारी सहित वन अमला पहुंचकर जेसीबी मशीनों से खेतों में गड्ढे खोद फसल उखाड़ने लगे जब से बारेला आदिवासी फसल उखाड़ने का विरोध किए तो बन अमले ने छर्रे चलाएं जिसमें चार आदिवासी सदस्य घायल हुए हैं | वन अधिकार अधिनियम के अनुसार पीड़ित वन अधिकार के दावेदार हैं और 1988 89 नवासी के सबूत दावों में पेश किये है | एक और मध्यप्रदेश शासन ने वन अधिकार के लिए खारिज हुए और लंबित दावों के पुनः निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके अंतर्गत समस्त कलेक्टरों को आदेशित किया है कि इस प्रक्रिया के पूरा होने तक किसी को बेदखल नहीं किया जाए और दूसरी और वन विभाग का आतंक जारी है| उन्होंने लिखा है कि सरकार के इस आदेश के बावजूद वन विभाग द्वारा न सिर्फ सरकारी आदेश का बल्कि वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों का भी घोर उल्लंघन किया जा रहा है सालों से गांव में रह रहे लोगों को बाहर वाला बताया जा रहा है एवं किसानों को फॉरेस्ट माफिया के नाम से कलंकित किया जा रहा है| विधायक ने मुख्यमंत्री से तत्काल इस मामले में एक्शन लेने की मांग की है| उन्होने कहा है दोषी अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उनपर एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाए साथ ही सभी निरस्त लंबित दावों के लिए कानून अनुसार तत्काल पुनः जांच किया जाए एवं जांच प्रक्रिया के दरमियान किसी भी दावेदार को बेदखल नहीं किया जाए, साथ ही ग्रामीणों पर लगाए गए केस भी वापस लिए जाएं और फायरिंग में घायल आदिवासियों को मुआवजा दिया जाए|