बुधवार मध्यरात्रि से अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त 25% आयात शुल्क लागू कर दिया है। इसके साथ ही कुल टैरिफ 50% हो गया है। बिहार राज्य इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अनुसार, इससे राज्य के उत्पादों के निर्यात पर करीब 250 करोड़ रुपये सालाना का असर पड़ सकता है। हालांकि एसोसिएशन का मानना है कि यह प्रभाव बहुत बड़ा नहीं होगा क्योंकि निर्यात का हिस्सा सीमित है और वैकल्पिक बाजार मौजूद हैं।
मखाना उद्योग को सबसे बड़ा खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ का सबसे ज्यादा असर बिहार के मखाना उद्योग पर पड़ सकता है। देश के कुल मखाना उत्पादन का 80% से ज्यादा बिहार में होता है, जिसमें से 25% हिस्सा अमेरिका को निर्यात होता है। यह सालाना करीब 600 टन है। शुल्क बढ़ने से अमेरिका में मखाने की मांग घट सकती है, जिससे उद्योग को अस्थायी झटका लग सकता है।
अन्य उत्पाद भी प्रभावित हो सकते हैं
मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा कला, लीची, भागलपुरी सिल्क, कतरनी चावल और जर्दालू आम जैसे उत्पाद भी अमेरिका में लोकप्रिय हैं। शुल्क बढ़ने से इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे निर्यात प्रभावित हो सकता है। हालांकि, बिहार राज्य इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केसरी का कहना है कि इन उत्पादों की मांग यूरोप और खाड़ी देशों में भी है, इसलिए ज्यादा नुकसान की संभावना नहीं है।
निर्यातक नए बाजार की तलाश में जुटे
मखाना व्यवसायी सत्यजीत सिंह ने कहा, “अगर अमेरिका से ऑर्डर घटता है तो हमें नए बाजार तलाशने होंगे। शुरुआत में थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन लंबे समय में बड़ा असर नहीं होगा।” निर्यातकों का मानना है कि यूरोप, खाड़ी और एशियाई देशों में मांग बढ़ाकर नुकसान की भरपाई संभव है।
अमेरिका ने क्यों लगाया अतिरिक्त शुल्क?
अमेरिकी गृह मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के चलते लिया गया है। इस कदम से भारत का अमेरिका को होने वाला 48 अरब डॉलर से ज्यादा का निर्यात प्रभावित हो सकता है।





