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Mon, Dec 15, 2025

बिहार के बगहा में शिक्षक की विदाई पर भावुक माहौल, फूट-फूटकर रोए छात्र, अभिभावकों की आंखें भी नम

Written by:Deepak Kumar
बिहार के बगहा में शिक्षक की विदाई पर भावुक माहौल, फूट-फूटकर रोए छात्र, अभिभावकों की आंखें भी नम

Bagaha News: शिक्षक और छात्र का रिश्ता बेहद अनमोल होता है। शिक्षक के मार्गदर्शन से छात्र न केवल स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई में बल्कि भविष्य की प्रतियोगिताओं में भी तैयार होते हैं। शिक्षक की मेहनत और टिप्स छात्र के जीवन को बेहतर बनाते हैं और उनके करियर की ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद करते हैं। लेकिन जब ऐसे शिक्षक की विदाई का समय आता है, तो छात्रों और कभी-कभी गुरूजी के भी आंसू थमने का नाम नहीं लेते। बगहा के भितहा प्रखंड स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय रेड़हा में ऐसे ही भावुक क्षण देखने को मिले, जहां शिक्षक नूरुल होदा की विदाई के दौरान छात्र-छात्राएं फूट-फूट कर रोते नजर आए।

विदाई का भावुक दृश्य

भितहा प्रखंड स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय रेड़हा में करीब पांच वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षक नूरुल होदा की विदाई समारोह में छात्र-छात्राएं भावुक हो उठे। समारोह के दौरान सभी बच्चे गुरूजी से लिपटकर फफ़क-फफ़क कर रोने लगे। बच्चों की भावनाओं को देखकर नूरुल होदा समेत वहां मौजूद अन्य लोगों की आंखें भी नम हो गईं। इस दृश्य ने विद्यालय परिसर में एक भावनात्मक माहौल बना दिया। छात्र-छात्राओं की मासूमियत और गुरूजी के प्रति सच्ची भावनाएं यह दर्शाती हैं कि नूरुल होदा ने अपने कार्यकाल में बच्चों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है।

नूरुल होदा की पृष्ठभूमि और योगदान

नूरुल होदा पूर्वी चंपारण जिले के आदापुर के रहने वाले हैं। वर्ष 2016 में उनकी पहली पोस्टिंग भितहा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय हथुअहवा में हुई। जून 2020 में म्यूचुअल स्थानांतरण के माध्यम से उन्होंने उत्क्रमित मध्य विद्यालय रेड़हा में पढ़ाई शुरू की। उस समय स्कूल में छात्र-छात्राओं की संख्या केवल 135 थी। नूरुल होदा की मेहनत और समर्पण से बच्चों की संख्या बढ़कर लगभग 500 हो गई। उनके प्रयासों से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी और विद्यालय में नियमित रूप से छात्र स्कूल ड्रेस में आने लगे।

स्कूल में बदलाव और सफलता

नूरुल होदा ने अपने कार्यकाल में स्कूल की रूपरेखा बदली और बेहतर पठन-पाठन का माहौल तैयार किया। उन्होंने बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ नैतिक शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारियों को भी महत्व दिया। उनकी कड़ी मेहनत और बच्चों के प्रति सच्ची लगन ने विद्यालय को एक नई पहचान दी। गंडक दियारावर्ती इलाके के इस सरकारी स्कूल में बच्चों की शिक्षा में सुधार और स्कूल की प्रतिष्ठा बढ़ाने में उनका योगदान सराहनीय रहा। नूरुल होदा ने कम समय में छात्रों के दिलों में इतनी गहरी छाप छोड़ी कि उनकी विदाई सभी के लिए भावनात्मक पल बन गई।

बच्चों के दिलों पर अमिट छाप

अपने पूरे कार्यकाल के दौरान नूरुल होदा ने स्कूल और छात्रों के लिए अपना सर्वस्व दिया। बच्चों की नम निगाहें और भावनाएं उनके कार्यकाल की सफलता का सही आकलन प्रस्तुत करती हैं। विदाई के समय छात्रों की फफ़क-फफ़क रोती आंखें यह दर्शाती हैं कि शिक्षक ने केवल ज्ञान नहीं बल्कि बच्चों के जीवन में प्रेरणा और आत्मविश्वास भी भरा। नूरुल होदा की मेहनत और समर्पण से भितहा प्रखंड का यह सरकारी स्कूल अब शिक्षा और अनुशासन का प्रतीक बन गया है। उनके योगदान को याद कर छात्र और शिक्षक भावुक हुए और उनका सम्मान किया।