पटना: बिहार की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति को ज़मीन पर उतार कर वीडी शर्मा ने राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की महत्वाकांक्षाओं को बड़ा झटका दिया है। प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ के मुंगेर से उम्मीदवार संजय कुमार ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब प्रशांत किशोर पूरे बिहार में पदयात्रा कर अपने संगठन को मजबूत करने और एक नया राजनीतिक विकल्प देने की कोशिश कर रहे हैं। संजय कुमार के इस कदम को जन सुराज के लिए एक संगठनात्मक विफलता और भाजपा के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत माना जा रहा है।

भाजपा का ‘ऑपरेशन वीडी शर्मा’ सफल
सूत्रों के अनुसार, संजय कुमार को भाजपा में शामिल कराने के इस पूरे अभियान को राजनीति विशेषज्ञ ‘ऑपरेशन वीडी शर्मा’ कह रहे हैं। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद विष्णु दत्त शर्मा (वीडी शर्मा) ने इस पूरी प्रक्रिया में केंद्रीय गृह मंत्री की रणनीति पर केंद्रित रहकर अहम भूमिका निभाई है। यह कदम दर्शाता है कि भाजपा बिहार में उभरते किसी भी नए राजनीतिक दल को गंभीरता से ले रही है और उसकी काट के लिए पहले से ही रणनीति तैयार कर रही है।
भाजपा नेताओं का मानना है कि इस जुड़ाव से पार्टी को मुंगेर और आसपास के इलाकों में जमीनी स्तर पर और मजबूती मिलेगी। यह दलबदल न केवल जन सुराज के लिए एक झटका है, बल्कि यह भाजपा के उस संदेश को भी पुष्ट करता है कि राष्ट्रीय राजनीति में वही एकमात्र स्थिर और विश्वसनीय विकल्प है।
प्रशांत किशोर के लिए बड़ी चुनौती
संजय कुमार, जिन्हें मुंगेर में जन सुराज का एक प्रमुख चेहरा माना जा रहा था, का पार्टी छोड़ना प्रशांत किशोर के लिए कई सवाल खड़े करता है। यह घटना उनकी नेतृत्व क्षमता और संगठन को एकजुट रखने की काबिलियत पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रशांत किशोर के लिए एक चेतावनी है। एक नया राजनीतिक संगठन खड़ा करना और उसे राष्ट्रीय दलों की सेंधमारी से बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि जन सुराज को अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने के लिए अभी और मेहनत करनी होगी। इस दलबदल से पार्टी के मनोबल पर भी असर पड़ सकता है।
बिहार की राजनीति पर असर
यह घटना बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एक तरफ जहां भाजपा ने एक उभरते प्रतिद्वंद्वी को कमजोर किया है, वहीं दूसरी ओर यह अन्य छोटे दलों और निर्दलीय नेताओं के लिए भी एक संकेत है। आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह के और भी राजनीतिक फेरबदल देखने को मिल सकते हैं। फिलहाल, संजय कुमार के भाजपा में शामिल होने से मुंगेर की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।










