भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने शुक्रवार को खुलासा किया कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के बाद 84,305 आवेदन नाम जोड़ने, हटाने और सुधार के लिए प्राप्त हुए हैं। इनमें से 6,092 आवेदनों का निपटारा निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ERO) ने कर दिया है। राजनीतिक दलों से मात्र 2 आपत्तियां दर्ज हुईं, जो सीपीआई (एमएल) लिबरेशन ने दाखिल कीं।
घर-घर जांच में उजागर हुए मृत और प्रवासी वोटर
एसआईआर के दौरान बीएलओ (Booth Level Officers) ने पूरे राज्य में घर-घर जाकर मतदाताओं की स्थिति की जांच की। इसमें बड़ी संख्या में मृत और प्रवासी मतदाता सामने आए जिनके नाम सूची से हटाए गए। अब चुनाव आयोग ने जिलावार लिस्ट जारी करनी शुरू कर दी है, जिससे प्रभावित वोटरों में नाराजगी देखी जा रही है।
नए मतदाताओं का उत्साह
विशेष पुनरीक्षण अभियान में 2,63,257 नए मतदाताओं ने आवेदन किया, जो एक अगस्त 2025 तक 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि नाम जुड़वाने के लिए पात्र नागरिक 1 सितंबर तक फॉर्म 6 जमा कर सकते हैं। वहीं अपात्र नामों के खिलाफ आपत्ति फॉर्म 7 के जरिए की जा सकती है।
राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर सवाल
आयोग ने कहा कि बार-बार अपील के बावजूद राजनीतिक दलों ने संशोधन प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। राज्य के 1.6 लाख बूथ स्तरीय एजेंटों (BLA) को लिस्ट की जांच कर त्रुटियां बताने का अवसर दिया गया है, लेकिन अब तक केवल एक पार्टी ने प्रतिक्रिया दी है।
आगे की प्रक्रिया और अंतिम तिथि
आयोग ने स्पष्ट किया कि दावे और आपत्तियों की समयसीमा 1 सितंबर 2025 तक है। इसके बाद सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। आयोग की कोशिश है कि अंतिम मतदाता सूची में केवल पात्र मतदाता ही शामिल रहें, जिससे बिहार में आगामी चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो सकें।





