बिहार की सियासत में अपनी अलग पहचान बनाने वाले पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का शुक्रवार (22 अगस्त 2025) को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे पांडेय ने रात करीब 9:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन से गोपालगंज सहित पूरे बिहार के राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई।
जन्म और शुरुआती जीवन
काली प्रसाद पांडेय का जन्म गोपालगंज जिले के विशंभरपुर थाना क्षेत्र के रमजीता गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम भगन पांडेय था। युवावस्था से ही उन्होंने सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहकर लोगों का भरोसा जीता। इसी दौर में उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
काली पांडेय का राजनीतिक सफर वर्ष 1980 में शुरू हुआ, जब उन्होंने पहली बार गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक बने। यह जीत उनके राजनीतिक करियर का मजबूत आधार बनी और उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
निर्दलीय जीत और कांग्रेस में प्रवेश
1980 के दशक में कांग्रेस की प्रचंड लहर के बावजूद काली पांडेय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर सभी को चौंका दिया। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सांसद नगीना राय को भारी मतों से हराया और लोकसभा पहुंचे। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल कराया। बाद में उन्होंने राजद और लोजपा में भी काम किया, लेकिन अंततः कांग्रेस में लौट आए।
परिवार और राजनीतिक विरासत
काली प्रसाद पांडेय अपने पीछे पत्नी मंजू माला, भाई एवं बीजेपी एमएलसी आदित्य नारायण पांडेय और तीन बेटों—पंकज कुमार पांडेय, धीरज कुमार पांडेय और बबलू पांडेय—को छोड़ गए हैं। उनकी राजनीतिक विरासत आज भी बिहार की राजनीति में जीवंत है।





