भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल मध्य प्रदेश में सरकारी खजाना पूरी तरह से खाली पड़ा हुआ है और कर्मचारियों (MP employees) द्वारा लगातार सातवें वेतनमान (7th pay commission) और Increment की बात की जा रही है। कर्मचारियों द्वारा सरकार को आंदोलन की चेतावनी भी दी जा रही है। इसी बीच अब इस संकट से निपटने के लिए वित्त विभाग (finance department) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) को एक बड़ा सुझाव दिया है। चर्चाओं की माने तो जल्दी मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश सिविल सेवा योजना 2002 (फरलो योजना) लागू किया जा सकता है। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
वहीं यदि मध्यप्रदेश में फरलो योजना (furlough scheme) लागू होती है तो सरकार 20:50 के फार्मूले पर भी योजना बना सकती है। दरअसल 20:50 योजना लागू होने के बाद 20 साल की सर्विस या 50 साल की उम्र होने के बाद अधिकारी कर्मचारियों को आपत्तिजनक आचरण करने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति (VRS) दी जा सकती है।
चर्चा है कि कर्मचारी अधिकारियों की इंक्रीमेंट की मांग को देखते हुए अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि इन दोनों में से एक योजना कर्मचारियों के सामने रख दिया जाए। इसका फायदा होगा कि कई कर्मचारी 5 साल के लिए छुट्टी पर चले जाएंगे। उस दिन इंक्रीमेंट नहीं देना पड़ेगा। साथ ही विधानसभा लोकसभा के चुनाव कर्मचारियों की नाराजगी नहीं होने से सरकार के वोट बैंक पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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चर्चाओं की माने तो जल्द प्रदेश में फरलो योजना शुरू की जा सकती है। वर्तमान में सरकारी अधिकारी वेतन भत्तों पर हर साल 60 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आता है। वही सरकार का मानना है कि फरलो योजना लागू होने के बाद एक से डेढ़ लाख अधिकारी कर्मचारी इस योजना का लाभ लेने के लिए तत्पर रहेंगे। ऐसे में सरकार को 6 से 7 हज़ार करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
हालांकि अगर प्रदेश में शिवराज सरकार योजना लागू करती है तो इसका ज्यादातर असर कामकाज पर पड़ेगा। सबसे बड़ी परेशानी कर्मचारियों की कमी के रूप में सामने आएगी। इसके अलावा सरकारी विभागों में लोगों की कमी होने से सीधे-सीधे इसके परिणाम सरकार की नीतियों पर देखे जाएंगे।
बता दें कि सरकारी डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, स्वास्थ्य विभाग की तकनीकी अमला सहित शिक्षक. पुलि, जवान और ऐसे अधिकारी कर्मचारी, जिसके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है वह फरलो योजना की पात्रता नहीं रखेंगे। वहीं यदि कोई अधिकारी कर्मचारी फरलो पर जाने के 5 साल की अवधि के बाद ही वापस नहीं लौटता है और उसकी पेंशन पात्रता है तो यह माना जाएगा कि उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है।
क्या है फरलो योजना
ज्ञात हो कि फरलो योजना 2002 में शुरू की गई थी। दरअसल यह योजना 2 अगस्त 2002 से मध्य प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (digvijay singh) द्वारा लागू की गई थी। प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों की लगातार वेतन वृद्धि की मांग को देखते हुए इस योजना को तैयार किया गया था।
- इस योजना के तहत कोई भी कर्मचारी कम से कम 3 और अधिकतम 5 साल के लिए छुट्टी पर जा सकते हैं।
- छुट्टी के दौरान उसे 50% ही वेतन दिया जाएगा।
- छुट्टी के दौरान वह प्राइवेट जॉब कर सकता है या फिर अपने बिजनेस शुरू कर सकता है।
- छुट्टी पर जाने के बाद उसकी सीनियरिटी प्रभावित नहीं होती है।
- साथ ही फरलो योजना का लाभ उठाने वाले कर्मचारी का निधन होता है तो उसके आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की भी पात्रता दी गई है।
- छुट्टी के दिनों में कर्मचारी अधिकारी को इंक्रीमेंट नहीं दिया जाएगा लेकिन कर्मचारी या अधिकारी अपनी पेंशन के हकदार जरूर होंगे।