एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर निलंबित, लोकायुक्त में चालान पेश होने के कारण सरकार की कार्रवाई

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। गृह विभाग ने भोपाल के राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो मुख्यालय में पदस्थ एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर को निलंबित कर दिया है। दीपक के खिलाफ लोकायुक्त के विशेष न्यायालय में चालान पेश होने के कारण यह कार्रवाई की गई है।
गृह विभाग ने एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर को निलंबित कर दिया है। निलंबन की अवधि में दीपक ठाकुर को पीएचक्यू में अटैच किया गया है।

एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर निलंबित, लोकायुक्त में चालान पेश होने के कारण सरकार की कार्रवाई

दरअसल कुछ समय पहले लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के एक मामले में एडिशनल एसपी दीपक ठाकुर समेत कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ लोकायुक्त न्यायालय मे चार्जशीट पेश की थी। उन्हें कोर्ट में पेश होने का नोटिस भेजा गया था लेकिन दीपक ठाकुर फरार हो गए थे। बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई थी।

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दरअसल पुणे की रहने वाली गुलशन जौहर की बेटी अमेरिका की एक कंपनी में जॉब करती थी और उसने जबलपुर के विक्रम राजपूत को कंपनी का एक कैमरा ढाई लाख रुपए में बेचा था। कैमरे में कुछ दिक्कत आने पर विक्रम ने कंपनी को इसकी शिकायत की लेकिन शिकायत निबटने के पहले ही साइबर सेल में मां-बेटी के खिलाफ FIR करा दी। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया और जेल में बंद मां बेटी को बाहर निकालने के लिए दीपक ठाकुर सहित तीन पुलिसकर्मियों ने 3.5 लाख रू की डिमांड की।

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इसकी जाच का जिम्मा डीएसपी साधना सिंह को सौंपा गया था और उसके बाद नीलम पटवा ने इसकी जांच की और चार्जशीट कोर्ट में पेश की गई। यह साक्ष्य पाए गए थे कि दीपक ठाकुर और तीन पुलिसकर्मियों ने पद का दुरुपयोग करके रिश्वत मांगी थी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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