भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बांस मिशन के संचालन (Operation of Bamboo Mission) को लेकर मध्यप्रदेश में सात साल से कृषि विभाग (Agriculture Department) और वन विभाग (Forest department) आमने-सामने चल रहे थे, कि आखिर इसका संचालन किसे मिलेगा। जिसका निर्णय अब सरकार ने कर दिया है। प्रदेश सरकार ने बांस मिशन (Bamboo Mission) के संचालन की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की महत्वकांक्षी योजना आत्मनिर्भर भारत (atmanirbhar bharat) है, इसी कड़ी में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश (atmanirbhar madhyapradesh) बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने बांस मिशन (Bamboo Mission) के कार्यों को इसमें शामिल किया है।
कृषि मंत्री ने जुलाई 2020 में सीएम को लिखा था पत्र
सरकार द्वारा निर्णय लेने के बाद अब बांस मिशन (Bamboo Mission) को वन विभाग एक साल के भीतर विधिवत तौर पर कृषि विभाग के हाथों में सौंपेंगे। कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) ने बांस मिशन को लेकर जुलाई 2020 में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) को एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कृषि विभाग को मिशन का संचालन सौंपने (Hand over the Bamboo mission to Agriculture Department) की बात कही थी। इस संदर्भ में कृषि मंत्री का कहना था कि बांस मिशन को अन्य राज्यों में कृषि विभाग द्वारा ही संचालित किया जाता है। ऐसे में हमारे राज्य में भी इसका कार्य कृषि विभाग को सौंपा जाए।
दोनों विभागों में लंबे समय तक चला खींचतान
बांस मिशन (Bamboo Mission) के संचालन को लेकर कृषि विभाग और वन विभाग के बीच काफी लंबे समय से खींचतान जारी है। इस मिशन को लेकर प्रदेश में जुलाई 2013 में एक सोसायटी गठित की गई है। बता दें कि कुछ समय के लिए ही सही लेकिन बांस मिशन का संचालन (Operation of Bamboo Mission) कृषि विभाग के पास था। जिसका पूरा कार्य कृषि विभाग के अधीन में ही संपन्न किया जाता था।
कृषि विभाग को मिल रही मिशन की जिम्मेदारी
इसके पश्चात् बांस मिशन (Bamboo Mission) को लेकर वन विभाग ने सरकार को कुछ तर्क दिए, जिसके बाद सरकार ने सहमति जताते हुए मिशन की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंप दी। वहीं एक बार फिर से बांस मिशन के संचालन की जिम्मेदारी सरकार द्वारा कृषि विभाग को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
दोनों विभाग के है अपने अलग तर्क
बांस मिशन को लेकर कृषि विभाग और वन विभाग के अपने-अपने तर्क है। जिसमें कृषि विभाग का कहना है कि बांस कैश क्राफ्ट (नकद फसल) है। जिसके संचालन की जिम्मेदारी अन्य राज्यों में कृषि विभाग की होती है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांस फसल तो है ही, लेकिन यह दीर्घ अवधि की फसल होती है। उन्होंने कहा कि इसके फसल को आठ से दस सालों में बेचा जाता है। किसानों को लाभ तभी मिलेगा जब इसे बड़े रकबे में रोपा जाएगा, अन्यथा किसानों को इसका लाभ साल में दो बार नहीं मिल पाएगा। इसी के चलते वन विभाग ने कहा कि बांस मिशन को उनके अधीन रखना चाहिए।
बांस मिशन पर हो रही दावेदारी
आइए जानते हैं कि आखिर क्यों दोनों विभाग बांस मिशन को लेकर दावेदारी जता रहे है। इसकी असली वजह यह है कि वन अधिकारियों को मिशन मिलने से उन्हें प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (पीसीसीएफ) स्तर का एक पद भी मिला है। ऐसे में अगर मिशन की जिम्मेदारी कृषि विभाग को सौंपी जाएगी तो यह पद विभाग से हट जाएगा। वहीं अगर इसकी दूसरी वजह की बात करें तो, बांस मिशन को केंद्र सरकार की ओर से राशि मिलने वाली है। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे अधिक से अधिक बांस लगाए, जिससे उन्हें अनुदान की राशि मिलेगी।