छतरपुर : युवक ने कलेक्टर को लिखा पत्र, कहा- नौकरी दे दो, नहीं तो बन जाऊंगा क्रिमिनल

Gaurav Sharma
Published on -

छतरपुर,डेस्क रिपोर्ट। एमपी जिनता अजब है या के मामले उतने ही गजब होते है। प्रदेश के युवा रोजगार (Employment) की तलाश में भटक रहे हैं। काबिलियत (Qualification) होने के बाद भी कई युवा (Youngsters) ऐसे हैं जिनको नौकरियां (Job) नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते वह काफी परेशान है। सरकार भी आए दिन रोजगार के अवसर (Employment opportunities) बढ़ाने की बात करती है। हाल ही में सीएम शिवराज (CM Shivraj Singh Chouhan) द्वारा प्रदेश में हर महीने एक लाख से ज्यादा रोजगार देने की बात कही गई थी। इसी बीच बेरोजगारी से परेशान छतरपुर जिले  के एक युवक ने जिला कलेक्टर को पत्र लिख डाला जो सुर्खियों का विषय बन गया है। युवक ने अपने आवेदन में लिखा कि या तो मुझे रोजगार दिलवा दो नहीं तो मैं हत्या,रेप, चोरी जैसी वारदातों को अंजाम दूंगा जिसकी जिम्मेदार कोई और नहीं सरकार होगी।

दरअसल, छतरपुर जिले के लवकुश नगर के रहने वाले हर्ष गोस्वामी ने जिला कलेक्टर को एक आवेदन दिया है, जिसमें हर्ष लिखते हैं कि वह दसवीं पास है और आईटीआई भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें रोजगार नहीं मिला है। हर्ष गोस्वामी ने कलेक्टर को लिखे पत्र में बताया है कि कक्षा दसवीं पास करने के बाद और आईटीआई हो जाने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उनको नौकरी मिल जाएगी, लेकिन हालात ऐसे हैं कि उसके जैसे कई युवा बेरोजगार घूम रहे हैं। बेरोजगारी की वजह से चोरी, डकैती, हत्या और रेप की घटनाएं आए दिन सामने आ रही है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।