दमोह , गणेश अग्रवाल
मध्यप्रदेश के कई शहरों में एटीएम ब्लास्ट कर रकम लूटने वाले गिरोह के सरगना देवेंद्र पटेल को गिरफ्त में लेकर ना सिर्फ दमोह पुलिस खुश थी, बल्कि सूबे की पुलिस ने राहत की सांस ली थी और बीते 26 जुलाई को इस गिरोह के पर्दाफास होने के बाद डीजीपी ने दमोह और पन्ना पुलिस को बधाई दी थी।
मामला बड़ा था लिहाजा सब का खुश होना लाजमी था लेकिन ये किसी को पता नही था कि सलाखों के पीछे जाने के बाद यही सरगना प्रदेश की पुलिस और पब्लिक की मुसीबत बन जायेगा। सिविल इंजीनियर की डिग्री वाला एटीएम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड देवेंद्र पटेल फरार हो गया है।
दरसल देवेंद्र की गिरफ्तारी के बाद उसे दमोह जिले के हटा की उपजेल में रखा गया था, जहां उसे कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। कोरोना पॉजेटिव पाए जाने के बाद बीते 7 अगस्त को उसे जेल से दमोह के जिला अस्पताल में बने कोविड केयर सेंटर के आईशोलेशन वार्ड में एडमिट कराया गया। देवेंद्र की सुरक्षा के लिए पुलिस नहीं बल्कि खुद जेल प्रशासन ने अपने सुरक्षा कर्मी यहां तैनात किए थे, जो उसकी रखवाली कर रहे थे।
शातिर बदमाश देंवेंद्र सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात अस्पताल से फरार हो गया। रात दो से तीन बजे के बीच फरार हुए आरोपी ने अस्पताल के पलंग से बंधी हथकड़ी को काटा और गायब हो गया। देर रात से ही इलाके में हड़कंप मच गया। जेल स्टाफ ने दमोह पुलिस को सूचना दी और जिले भर में घेराबंदी की गई लेकिन अब तक फरार देवेंद्र का कोई पता नही चला है।
दमोह पुलिस के एडिशनल एस पी शिवकुमार सिंह की माने तो जेल प्रबंधन ने देवेंद्र के कोरोना पॉजेटिव पाए जाने और उसे अस्पताल में दाखिल कराने की सूचना पुलिस को नही दी थी। जबकि हटा जेल के जेलर का कहना है कि विधिवत पुलिस और जिला प्रशासन को इसकी इत्तला दी गई थी। इन विरोधाभाषी बयानों के बाद पूरा मामला संदेहों के घेरे में खड़ा है। चूंकि देवेंद्र मास्टर माइंड है और एटीएम लूट के अलावा नकली नोट छापने के आरोप में भी पकड़ा गया है।
इस मामले में पकड़े जाने के बाद उसके घर से करीब चालीस लाख के नकली नोट और कलर प्रिंटर भी बरामद हुआ है। लिहाजा वो साधारण अपराधी नहीं है और उसका इस तरह से फरार होना कई सवालों को जन्म दे रहा है। फिलहाल जिले भर की नाका बंदी की गई है वही आसपास के जिलों को भी सतर्क किया गया है।