Gwalior News : ग्वालियर में एक वृद्ध रिटायर्ड शिक्षिका ने एसपी ऑफिस पहुंचकर अपनी पीड़ा सुनाई जिसे सुनकर एसपी भी आश्चर्य में पड़ गये, वृद्धा की उम्र करीब 82 साल थी वे ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, इस सबके बावजूद एक ठेकेदार ने मकान बनाने के नाम पर उनसे करीब 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी कर दी। एसपी धर्मवीर सिंह ने आवेदन लेकर तत्काल संबंधित थाने के टी आई को निर्देश दिए कि दो दिन में मामले का निपटारा हो जाये।
एक छोटी बच्ची के साथ लाठी के सहारे एसपी ऑफिस की जनसुनवाई में पहुंची 82 साल की पद्मा भाटिया ने बताया वे प्रदेश के सबसे बड़े महिला कॉलेज केआरजी कॉलेज में पढ़ाती थी, महलगांव पहाड़िया पर स्थित आवास विकास कालोनी पर उनका एक प्लाट था और इसी प्लाट पर मकान बनाने के नाम पर एक ठेकेदार ने उनसे करीब 10 लाख रुपये ठग लिए हैं।
रिटायर्ड शिक्षिका के साथ ठेकेदार ने की 10 लाख रुपए की धोखाधड़ी
ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही पद्मा भाटिया ने कहा कि उन्होंने सचिन भोंसले नामक व्यक्ति से मकान बनाने के लिए कहा था वो और उसका दोस्त सुनील तोमर उन्हें निर्माण कार्य की फोटो दिखाकर पैसे लेते रहे, उन्होंने करीब 6 लाख रुपये चैक से और शेष कैश उनको अलग अलग समय पर दिए।
पैसे वापस मांगे तो ठेकेदार ने दे दी धमकी
धोखाधड़ी का खुलासा उस समय हुआ जब एक दिन वे अपना मकान देखने गई वहां कोई निर्माण कार्य नहीं था। यानि ठेकेदार उन्हें दूसरे कोई फोटो दिखाकर पैसे ऐंठ रहा था, उन्होंने जब ठेकेदार से इसपर सवाल किया और निर्माण नहीं करने पर उनके पैसे वापस मांगे तो ठेकेदार उन्हें धमकी देने लगा।
पुलिस से कर ली सेटिंग नहीं हुई एफआईआर
उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस थाने में की, तत्कालीन टीआई ने ठेकेदार को बुलाकर लताड़ा स्टाफ को एफआईआर करने के निर्देश दिए लेकिन ठेकेदार सचिन भोंसले और सुनील तोमर ने पुलिस से सेटिंग कर ली और उसके खिलाफ एफआईआर नहीं हुई।
एसपी ने दिए दो दिन में मामले के निपटारे के निर्देश
वृद्धा पद्मा भाटिया ने इसके बाद कई बार पुलिस थाने के चक्कर लगाये लेकिन पुलिस ने एफआईआर नहीं लिखी, परेशान हो चुकी रिटायर्ड शिक्षिका ने आज एसपी ऑफिस की जनसुनवाई में एक शिकायती आवेदन दिया। एसपी धर्मवीर सिंह को उन्होंने उनके साथ हुए धोखे की जानकारी दी। सुनने के बाद एसपी ने संबंधित थाने के टीआई को तत्काल एक्शन लेने के और दो दिन में मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए हैं।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट