रीवा।अखिल त्रिपाठी
लॉकडाउन(lockdown) की वजह से बाहर फंसे लोगों को आने जाने के लिए ई-पास(E-Pass) व्यवस्था लागू की गई है लेकिन रीवा(rewa) में कतिपय शातिर दिमाग वालो ने सरकार की इस पारदर्शी व्यवस्था पर भी सेंध लगा दी । कलेक्ट्रेट परिसर में स्टाम्प(stamP) बेंचने वाले दो विक्रेताओं ने जिला पंचायत के कर्मचारियों से सांठगांठ कर ई-पास के प्रपत्र हांसिल कर लिए और फिर जरूरतमंद से हजार हजार रुपये लेकर ई-पास बनवाने लगे ।
दिलचस्प यह कि कलेक्टर(collector) की नाक के नीचे जिला पंचायत सीईओ(CEO) के कार्यालय के कर्मचारी फर्जी ई-पास जारी करते रहे और किसी को भनक तक नही लगी । फर्जी ई-पास का भंडाफोड़ up वार्डर पर तब हुआ जब इलाहाबाद जा रहे एक व्यक्ति का मोबाइल मैसेज संदिग्ध लगा । up पुलिस ने अपने सन्देह से रीवा पुलिस(Rewa police) अधिकारियों को अवगत कराया गया तब कही जाकर यह मामला क्राइम ब्रांच(crime branch) को सौंपा गया । बताया गया है कि स्टाम्प वेंडर(stamp vendor) और जिला पंचायत के गिरोह ने तकरीबन एक हजार पास विभिन्न शहरों और राज्यो के लिए जारी कराये । जिला पंचायत से जो प्रपत्र बाहर आये उनमें बकायदे सील मोहर लगी रहती थी । पकड़े गए दलाल प्रपत्र भर कर सम्बंधित व्यक्ति को अपने विश्वास में लेते थे इसके बाद मोबाइल के माध्यम से आवश्यक प्रविष्टि भरकर जिला पंचायत के कर्मचारी से मिलकर ई पास जारी करा देते थे , मोबाइल में मैसेज मिलने पर सम्बंधित व्यक्ति को तसल्ली हो जाती थी ।
जानकारी के मुताबिक धर पकड़ के बाद क्राइम ब्रांच ने सूरज नामक स्टाम्प वेंडर के घर की तलाशी भी ली लेकिन वहां कुछ हाथ नही लगा क्योंकि पकड़ में आते ही सूरज ने अपने किसी दोस्त के सहयोग से फर्जी सील सहित संदिग्ध दस्तावेज घर से गायब करा दिए थे । इस मामले में फिलहाल सूरज और सुरेंद्र नामक दो लोगो को पकड़ा गया है जबकि जिला पंचायत के सांठगांठ की जांच की जा रही है । यहां यह बताना जरूरी है कि ई पास अमान्य करने की अनेको शिकायते आने पर जिम्मेदार अधिकारियों ने लोगो द्वारा गलत आवेदन भरने की बात कह कर अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास किया गया था लेकिन उनके कार्यालय में ही सारा खेल चल रहा है इस बात से वे अनभिज्ञ बने रहे ।