भोपाल।
मध्यप्रदेश(madhyapradesh) की राजधानी(capital) में लगातार बढ़ते मौत के मामले के बीच प्रशासन(administration) के निर्देश पर मरीजों के मौत का ऑडिट(audit) किया गया। जिसमें कई तरह के चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। इसमें कम्युनिटी स्प्रेड(community spread) के साथ साथ बिना किसी बीमारी के मरीजों को अस्पताल(hospital) में रखने से उनकी मौत होने की वजह सामने अाई है। बताया गया है कि इनमें 5 में से 1 उस मरीज की मौत हुई है जिसे कोई बीमारी थी ही नहीं।
दरअसल राजधानी में कोरोना(corona) से हो रहे लगातार मौत के बाद कलेक्टर(collector) के आदेश पर ऑडिट टीम(audit team) गठित की गई थी। इस तीन सदस्यीय टीम ने बुधवार को प्रशासन को रिपोर्ट(report) सौंपी है। जिसमें कई तरह से खुलासे किए गए हैं। ऑडिट के नतीजों से पता चलता है कि जिन कोरोना संक्रमित मरीजों में पहले से कोई बीमारी थी या कोई मेडिकल समस्या चल रही थी वो लोग अस्पताल में भर्ती होने के लगभग 63 घंटे के अंदर हौसला हार गए। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती होने के तीन घंटे के अंदर 23 फीसदी मरीजों को मृत घोषित कर दिया गया। ऑडिट में ये भी पता चला है कि 20 प्रतिशत मामलों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और हाइपरटेंशन पाया गया है। वहीं 17 मृतकों की मौत 4 मई से 10 मई के बीच बताई गई थी।
बता दें कि फैटिलिटी स्तर पर ऑडिट में ये पाया गया कि अस्पताल में रहने की अवधि भी मौत के कारकों में शामिल है। अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटों के भीतर लगभग 76 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई। कुल मौत के आंकड़ों में से 55 प्रतिशत की मृत्यु अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटों के अंदर हो गई। रिपोर्ट के मुताबिक बिना किसी बीमारी के जो मरीज अस्पताल में एडमिट हैं। वो भर्ती होने के 37 घंटे के बाद दम तोड़ते जा रहे हैं। जो मरीज कोरोना पॉजिटिव हैं उनकी अस्पताल में भर्ती होने के 63 घंटे के अंदर मौत हो जा रही है।
गौरतलब है कि भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत का ऑडिट कम्युनिटी और फैसिलिटी स्तर पर किया गया। कम्युनिटी स्तर पर जहां मृतकों की ट्रैवल हिस्ट्री से लेकर उनकी फैमिली डिटेलिंग तलाशी गई थी। वहीं फैसिलिटी स्तर पर मृतकों के इलाज का फीडबैक अस्पताल मैनेजमेंट से लिया गया था।