लखनऊ, डेस्क रिपोर्ट। 28 साल के बाद आखिर वह ऐतिहासिक फैसला आ गया। जिसका सारे भारतवासी को इंतजार था। बाबरी मस्जिद विध्वंस(Babri demolition) मामले में लखनऊ(lucknow) की स्पेशल सीबीआई कोर्ट(special CBI Court) ने अपना फैसला सुना दिया है। लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था बल्कि यह घटना आकस्मिक घटना थी। जिसके बाद विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी(L.K.Advani), मुरली मनोहर जोशी(Murli Manohar Joshi), कल्याण सिंह(Kalyan singh) सहित सभी अभियुक्तों को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी कर दिया है।
दरअसल 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढह जाने को लेकर 28 साल बाद जज सुरेंद्र कुमार यादव की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया है कि यह विध्वंस पूर्व नियोजित ना होकर सिर्फ एक आकस्मिक घटना रही है। अब तक चले इस केस में सीबीआई ने 351 गवाह और करीब 600 से अधिक दस्तावेज साक्ष्य भी पेश किए हैं। जिसके बाद करीब दो हजार करने का फैसला तैयार किया गया था। फैसले के बाद वकीलों ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि फोटो से कोई आरोपी नहीं हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि जो साक्ष्य हैं वो सभी आरोपियों को बरी करने के लिए पर्याप्त हैं। कोर्ट ने सीबीआई के साक्ष्य पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरीके से विवादित ढांचा को गिराने का प्रयास आरोपित व्यक्तियों द्वारा नहीं किया गया था।
बता दें कि इस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। जिनमें से 17 की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है। वहीं बीजेपी के एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती(Uma bharti) और जय भान सिंह पवैया सहित 26 आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा गया था। जिसमें से छह ने कोरोना महामारी और स्वास्थ्य कारणों के कारण ऐसा कर पाने में असमर्थता जताई थी। वही बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में यह फैसला 28 सालों के बाद आया है।