बैतूल : कर्मचारी चला रहे पोस्ट कार्ड अभियान, नई पेंशन स्कीम का कर रहे विरोध

बैतूल, वाजिद खान। सरकार की नई पेंशन स्कीम ने रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों और उनके परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। अब हालात ये है कि कर्मचारी अपना बुढ़ापा सुरक्षित करने सड़कों पर उतर आए है। बैतूल में शिक्षकों से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्यकर्मी इन दिनों एनपीएस भारत छोड़ो आंदोलन चला रहे है। वे सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग करते हुए पोस्ट कार्ड अभियान चला रहे है। जिसके तहत वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को पोस्ट कार्ड भेजकर पेंशन बहाली की मांग कर रहे है। कर्मचारियों की मांग है कि, सरकार उनकी पुरानी पेंशन स्कीम चालू करें, ताकि उनका बुढ़ापा सुरक्षित हो सकें। पुरानी स्कीम बहाल ने करने पर कर्मचारियों ने कलम बन्द, काम बंद करने का एलान किया है।

बता दें कि सरकार ने 1 जनवरी 2005 से प्रदेश में नई पेंशन स्कीम लागू कर दी है। जिसके चलते कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन से दस प्रतिशत की राशि काटकर उतनी ही रकम सरकार अपने पास से मिलाकर रकम निजी कंपनियों को दे देती है। जिसे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर दिया जाता है। जिसके अंशदान से कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद पेंशन दी जाती है। यह रकम इतनी कम होती है कि रिटायर कर्मचारियों का परिवार चलाना मुश्किल है। हाल ही रिटायर्ड हुए कई कर्मचारियों को महज 500 से डेढ़ हजार रुपये मासिक की पेंशन मिल रही है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।