भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर है। आज सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा लगाई गई याचिका पर फैसला नहीं हो पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, ऐसे में एमपी में निकाय और पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे या नहीं, इसके लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
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दरअसल, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत और नगरीय निकाय 2022 में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि बिना ओबीसी आरक्षण के प्रदेश में चुनाव करवाएं जाएं और मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिए थे कि 15 दिन के अंदर पंचायत चुनाव एवं नगर पालिका चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वकीलों की टीम से मुलाकात की और देर शाम संशोधन याचिका पेश की है, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की ।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन में कोर्ट ने सारे तथ्यों को सुनने के राज्य सरकार से कुछ और जानकारी मांगी है। एक बार फिर से कल या परसों मामले पर सुनवाई होगी। कोर्ट से मांगी गई जानकारी को सरकार कराएगी मुहैया। सुत्रों की मानें तो सरकार के आवेदन पर यदि सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती है तो राज्य निर्वाचन आयोग इसी सप्ताह चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है। आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां कर ली हैं।
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इसके लिए शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की वार्डवार रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है और पुनर्विचार आवेदन में 2022 के परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति मांगी है। राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने की अनुशंसा सरकार से की है।वही राज्य निर्वाचन चुनाव आयोग को दो सप्ताह के बजाय 4 सप्ताह में चुनाव की सूचना जारी करने का आदेश दिया जाए। आयोग का दावा है कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता ओबीसी है, इसलिए इस वर्ग को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता का ट्वीट
इधर, कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने ट्वीट कर कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग अगर अपने दायित्वों को समय रहते हुए पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो उसके दुष्परिणाम मध्य प्रदेश की जनता नहीं भोगेगी। ओबीसी वर्ग को भारतीय संविधान में जो अधिकार दिए गए हैं वह अधिकार प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग को देना होगा।भारतीय संविधान का उल्लंघन करने का अधिकार ना प्रदेश सरकार को है ना निर्वाचन आयोग याचिकाकर्ता सैयद जाफर और जया ठाकुर की तरफ से एडवोकेट वरुण ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर आवेदन के दौरान यह बात कही।