अपने कार्यों में लाएं सकारात्मकता, जीवन में मिलेगी सफलता – प्रवीण कक्कड़

भोपाल, प्रवीण कक्कड़। आपने एक शब्‍द सुना होगा सकारात्‍मक (positivity ) सोच या पॉजीटिव थिंकिंग (Positive thinking)। छात्र हो या खिलाड़ी (player), नौकरीपेशा हो या व्‍यापारी (bussinessman) हर कोई अपने जीवन में सकारात्‍मक सोच लाना चाहता है, दूसरी ओर कोच हो या शिक्षक हर कोई अपने अनुयायी को सकारात्‍मक सोच की घुट्टी पिलाना चाहता है लेकिन इस प्रक्रिया (process) में हम थोड़ी सी गलती करते हैं। सकारात्‍मक सोच का अर्थ है अपने काम को सकारात्‍मक बनाना न की केवल नतीजों के सकारात्‍मक सपनों में खो जाना।

हम अपने कर्म, लगन और व्‍यवहार को सकारात्‍मक करने की जगह केवल मन चाहे नतीजे के सकारात्‍मक सपने पर फोकस करने लगते हैं और सोचतें हैं कि यह हमारी पॉजीटिव थिंकिंग हैं। ऐसे में हमारे सफलता के प्रयास में कमी आ जाती है और हमारे सपनों का महल गिर जाता है, फिर हम टूटने लगते हैं। नकारात्‍मकता हम पर हावी हो जाती है। ऐसे में जरूरत है कि हम सकारात्‍मकता के वास्‍तविक अर्थ को समझें। सकारात्‍मक सोच यह है कि हम अपनी काबिलियत पर विश्‍वास करें, लगन से काम में जुटें और पूरी ऊर्जा से काम को पूरा करें। फिर नतीजे अपने आप सकारात्मक हो जाएंगे।


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Kashish Trivedi

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