छतरपुर: कोरोना का ऐसा खौफ, अर्थी के लिए नहीं मिल सके चार कंधे, पुलिस ने पेश की इंसानियत की मिसाल

Pratik Chourdia
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छतरपुर, संजय अवस्थी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (corona virus) के चलते कई जगहों से पुलिस (police) की अलग-अलग गतिविधियों की तस्वीरें हमारे सामने आयीं हैं। लेकिन छतरपुर (chhatarpur) जिले के प्रकाश बम्होरी में थाना पुलिस की एक ऐसी मानवीय (humanitarian) तस्वीर सामने आई है जिसने न सिर्फ देशभक्ति जनसेवा के नारे को सच साबित किया है बल्कि किसी असहाय के लिए मौजूद रहने का कर्तव्य भी निभाया है।

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दरअसल मामला प्रकाश बम्होरी गांव का है। यहां 85 वर्षीय वृद्ध मूरत सिंह पिछले 5 दिनों से बीमार चल रहे थे और बीमारी के चलते गांव में ही उनका निधन हो गया। हलांंकि वे कोरोना संक्रमित नही थे लेकिन कोरोना की दहशत कुछ ऐसी की उनके बेटे भागीरथ को अपने मुहल्ले से लेकर गांव तक ले जाने के लिए अपने पिता की अर्थी को चार कंधे तक नहीं मिल रहे थे। रोता बिलखता बेटा मदद की गुहार लगाते हुए प्रकाश बम्होरी थाने पहुंचा। थाना प्रभारी मानवीयता दिखाते हुए अपने दो आरक्षकों के साथ सुरक्षा की दृष्टि से पीपीई किट पहन कर मृतक के घर पहुंचे और मृतक मूरत सिंह की अर्थी को उनके बेटे के साथ कंधा दिया। गांव से मुक्ति धाम तक ले जाने के लिए गांव के ही अमर सिंह ने अपना पिकअप वाहन उपलब्ध करवाया और फिर पुलिस स्टाफ मृतक का परिजन बनकर मुक्तिधाम पहुंचा और अंतिम संस्कार में मौजूद रहा। बेटे ने थाना प्रभारी छत्रपाल सिंह, आरक्षक चंद्रभान,व आरक्षक शिवम की मौजूदगी में अपने पिता को मुखाग्नि दी।

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जाहिर है इस भीषण आपदा के चलते अपनों ने अपनों को दूर कर दिया है ,किसी के निधन पर घर परिवार के साथ जहां मुहल्ला से लेकर गांव तक अंत्येष्टि में उमड़ पड़ता था लेकिन आज कोरोना का भय ऐसा की एक बेटे को उसके पिता के लिए उसके अपने गांव में चार कंधे नहीं मिले और पुलिस ने वो फर्ज निभाकर कर्तव्य के साथ साथ इंसानियत का फर्ज भी अदा किया।


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CTO & Digital Head of MP Breaking News

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