बाबरी मामला: फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले(Babri Masjid demolition case) में 28 साल बाद आए फैसले के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) का बड़ा बयान सामने आया है। बाबरी विध्वंस मामले में फैसले के तुरंत बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नहीं। आज एक बार फिर सत्य की जीत हुई है! भारतीय न्यायपालिका की जय!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चौहान ने कांग्रेस की तत्कालीन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर हमारे संतो, महात्माओं और नेताओं पर झूठे आरेाप लगाए थे। सभी निर्मूल साबित हुए है, दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो गया है। न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं।

वही इस मामले में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा(Narottam mishra) ने कहा कि बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई कोर्ट के फैसले से यह साबित होता है। इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और संतों पर लगे सभी आरोप झूठे एवं खोखले थे। यह सभी आरोप राजनीति से प्रेरित थे। मिश्रा ने कहा कि यह लोग तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। आरोप लगाने वालों की मानसिकता को बदला नहीं जा सकता वहीं उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक एवं स्वागत योग्य बताया है।

इससे पहले इस मामले में बरी हुए बीजेपी के वरिष्ठ मुरली मनोहर जोशी(Murli manohar joshi) ने कहा है कि बाबरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय दिया है। वही लालकृष्ण आडवाणी(lalkrishna advani) ने अदालत के फैसले पर खुशी जताई। साथ ही घर के बाहर खड़े समर्थकों के बीच मिठाई भी बांटी। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बरी होने के बाद साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि धर्म के काम में बड़ी बाधाएं आती है लेकिन ईश्वर सत्य के साथ होता है। हमारे साथ न्याय हुआ है और हमें खुशी है कि अदालत ने धर्म के कार्य को ही सही माना।

बता दे कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बुधवार को फैसला आ गया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस.के. यादव ने लाकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवादित ढांचा विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। सिर्फ तस्वीरों से आरोपियों के घटना में शामिल होने का सबूत नहीं मिल जाता। यह कहते हुए कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया।

 


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