भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में ओबीसी आरक्षण होगा या नहीं, इसका फैसला यह एक या दो दिन में आ जाएगा। मंगलवार को राज्य सरकार के पुनर्विचार आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की ओबीसी आरक्षण संबंधी विस्तृत रिपोर्ट को पेश किया गया।
आपको बता दे, ओबीसी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ट्रिपल टेस्ट कराया गया है।
कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के पक्ष में सरकार के वकीलों की ओर से लगभग दो घंटे तक दलीले दी गई। कोर्ट ने ओबीसी के लिए आरक्षण तय करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में और विस्तृत जानकारी मांगी है, अगली सुनवाई आज होगी।
सरकार ने ओबीसी की आबादी, मतदाताओं की स्थिति, प्रतिनिधित्व आदि का विश्लेषण कर पहला प्रतिवेदन भी सौंप दिया है, जिसमें कुल मतदाताओं में ओबीसी की संख्या 48 प्रतिशत बताई गई हैं। इसको आधार बनाते हुए सरकार ने ओबीसी को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में 35 प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने यही जिलेवार रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे अधूरा ट्रिपल टेस्ट मानते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को दो सप्ताह के अंदर चुनाव की अधिसूचना जारी करने के आदेश दे दिए और साथ ही कहा कि ट्रिपल टेस्ट पूरा हुए बिना ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
बता दे आयोग ने 12 मई को निकाय और वार्ड के अनुसार रिपोर्ट प्रस्तुत की है। सरकार ने इस पर पुनर्विचार के लिए आवेदन लगाकर ओबीसी आरक्षण और नए परिसीमन से चुनाव कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ता सैयद जाफर के वकील वरुण ठाकुर ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट को लेकर सरकार का पक्ष सुना गया। अगली सुनवाई में सरकार की ओर से ट्रिपल टेस्ट के लिए अपनाई गई प्रक्रिया सहित अन्य जानकारी दी जाएगी।