कांग्रेस का PM मोदी पर अटैक, आपकी हरकतों से साज़िश की बू आ रही है

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  दिल्ली में गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन जो कुछ देखने को मिला, जिस तरह से किसानों ने ट्रैक्टर परेड की आड़ में हिंसा फैलाई, उसकी निंदा देश से प्रेम करने वाले और सभ्य समाज के लोग कर रहे हैं, लेकिन राजनेताओं को इसमें भी राजनीति दिखाई दे रही है। दिल्ली में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस (Congress) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। एमपी कांग्रेस (MP Congress) ने अपने ट्विटर हेंडिल पर लिखा कि ये है मोदी के सपनों का भारत,आपकी हरकतों से साज़िश की बू आ रही है।

गणतंत्र दिवस (Republic Day)पर आंदोलनकारी किसान संगठनों द्वारा दिल्ली में ट्रैक्टर परेड (Tractor parade) करने की मांग को सरकार द्वारा स्वीकृत करने के बाद दिल्ली पुलिस (Delhi Police) और किसान संगठनों (Farmers Organizations) के बीच 37 बिंदुओं पर सहमति बनी थी जिसके तहत किसानों को राजपथ (Rajpath) की मुख्य परेड के बाद 12 बजे से ट्रैक्टर परेड (Tractor parade) निकालनी थी लेकिन कुछ किसान सुबह टिकरी बॉर्डर पर लगे पुलिस बैरिकेड तोड़कर अंदर घुस आये उसके बाद धीरे धीरे किसान जत्थों के रूप में ट्रैक्टर लेकर घुस आये, हिंसा की बसों में तोड़फोड़ की, मीडियाकर्मियों के कैमरे तोड़े, पुलिसकर्मियों को मारा, लाल किले पर धावा बोला , वहां खालसा पंथ किसान संगठन का झंडा लगाया। जवाब में पुलिन ने लाठियां भांजी , आंसू गैस के गोले छोड़े। इतना सब होने के बाद आंदोलनकारी किसान संयुक्त मोर्चा ने इस हिंसा से अपना पल्ला झाड़ लिया मौका देखते ही किसान आंदोलन का समर्थन कर रही कांग्रेस मैदान में कूद गई।

एमपी कांग्रेस (MP Congress) ने दिल्ली किसान हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को निशाने पर लिया है। एमपी कांग्रेस (MP Congress) ने अपने ट्विटर हेंडिल पर लिखा –  ये है मोदी के सपनों का भारत: नफरत फैलाते-फैलाते नरेन्द्र मोदी ने जवानों और किसानों को आपस में लड़वाने में आख़िर सफलता हासिल कर ही ली है। मोदी जी, कृषि क़ानून इतने ज़रूरी हैं..?आपकी हरकतों से साज़िश की “बू” आ रही है।

बहरहाल गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में आंदोलनकारी किसान संगठन अन्य किसी किसान संगठन से जुड़े किसानों ने जो कुछ किया उसमें राजनेता अपनी राजनीति भले ही ढूंढ रहे है लेकिन आज की घटना ने लोकतंत्र को जरूर शर्मसार कर दिया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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